द फॉलोअप डेस्क
16 वें वित्त आयोग की टीम ने की राज्य सरकार और राजनीतिक दलों के साथ बैठक
16 वां वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि झारखंड लोकल बॉडी (नगर निकाय व पंचायत) का चुनाव कराए, बकाया पैसा पाए। उन्होंने यह भी स्पष्टीकरण दिया कि अगर दिसंबर तक राज्य सरकार निकायों का चुनाव करा लेती है तो पिछले वित्तीय वर्ष की बकाया राशि भी मिल जाएगी। अन्यथा लैप्स हो जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि विशेष राज्य या विशेष पैकेज, वित्त आयोग का विषय नहीं है। अनुदान की राशि केंद्रीय बजट से राज्यों को सशर्त प्राप्त होती है, इसलिए इस राशि के भुगतान में विलंब पर आयोग का कोई सीधा नियंत्रण नहीं है। जीएसटी के लागू होने से हो रहे नुकसान पर कहा कि यह झारखंड का नया डिमांड है। झारखंड ने जीएसटी से होनेवाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए फार्मूले में बदलाव की मांग की है। हालांकि तीन दिनों से झारखंड में विभिन्न संगठनों, संस्थाओं और सरकार के साथ बैठक करने के बाद भी उन्होंने यह बताने से इंकार कर दिया कि झारखंड का कौन सा क्षेत्र उन्हें कमजोर दिखा। झारखंड को किस क्षेत्र में अतिरिक्त मदद की आवश्यकता है। वह सब कुछ वित्त आयोग के फार्मूले के आधार पर ही तय होने की रट लगाते रहे। डॉ पनगढ़िया वित्त आयोग के अन्य सदस्यों व अधिकारियों के साथ प्रेसवार्ता कर रहे थे।
झारखंड ने पांच वर्षों के लिए 3.03 लाख करोड़ एवं राज्यांश को 41 से 55 फीसदी करने की मांग की
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने आयोग के समक्ष राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए 23 विभागों के लिए अगले पांच वर्षों तक 3.03 लाख करोड़ रुपए की मांग की है। ताकिक झारखंड का आर्थिक-सामाजिक परिदृश्य बदल सके। उन्होंने कहा कि जुलाई 2022 के बाद से जीएसटी कंपनसेशन बंद है। जीएसटी आधारित कर व्यवस्था होने से झारखंड को भारी नुकसान हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक इस मद में झारखंड को लगभग 61677 करोड़ के नुकसान की संभावना है। उन्होंने रेखांकित किया कि 15 वें वित्त आयोग के समक्ष झारखंड ने 1.5 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया था। लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में केवल 12398 करोड़ ही उपलब्ध कराए गए। किशोर ने जंगल आधारित राज्यांश निर्धारण एवं वितरण के फर्मूले में भी संशोधन की मांग की। 14 वें वित्त आयोग ने 7.5 फीसदी राशि निर्धारित की थी जबकि 15 वित्त आयोग ने 10 फीसदी। लेकिन यह नाकाफी है। फार्मूला तय करने में सघन वन के साथ साथ खुले वन को भी समाहित करने की जरूरत है। उन्होंने केंद्रीय करों में राज्यांश को 41 फीसदी से बढ़ा कर 55 फीसदी करने की मांग भी की। इसके अलावा राधाकृष्ण किशोर ने शेष 14.19 लाख हेक्ट्यर भूमि पर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए अतिरिक्त मदद का प्रस्ताव भी दिया। साथ ही वर्षा जल के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए भी केंद्रीय सहायता पर जोर दिया। किशोर ने कहा कि खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में इसकी ढुलाई सड़क मार्ग से होती है, लेकिन 1000 वर्ग किलोमीटर में सड़क का राष्ट्रीय औसत 500 किलोमीटर है तो झारखंड में 186 किलोमीटर। उन्होंने प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए भी झारखंड को अतिरिक्त केंद्रीय मदद की जरूरत बतायी। साथ ही उच्च शिक्षा, कृषि व अन्य क्षेत्रों के लिए भी विशेष मदद की मांग की। राज्य सरकारकी ओर से आयोग के अध्यक्ष को मेमोरेंडम भी सौंपा गया। इसमें राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर, नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, उत्पाद मंत्री योगेंद्र प्रसाद के अलावा पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव भी शामिल थे।
झारखंड ने कोयला कंपनियों, जल जीवन मिशन व मनरेगा का बकाया मांगा
कोयला कंपनियों के यहां बकाया 1.36 लाख करोड़ के आलावा मनरेगा मद में बकाये 1300 करोड़ की बकाये राशि का मुद्दा रखा। राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जल जीवन मिशन क्षेत्र में भी 5235 करोड़ की राशि बकाया है।
सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा राज्य के साथ भेदभाव न हो
नगर विकास एवं आवास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने बैठक में नगर निकायों और पंचायतों के बकाये राशि की मांग दुहरायी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चुनाव कराने की पूरी कोशिश कर रही है। ठीक है कि चुनाव कराने पर ही राशि मिलने की शर्त है। लेकिन 20-25 फीसदी राशि रोक कर शेष राशि तो मिल सकती थी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य आयोग के लिए बड़े और छोटे पुत्र के समान है। इसलिए भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड दूर से खनिज संपन्न राज्य दिखता है। लेकिन प्रदूषण, उग्रवाद, बेरोजगारी, विस्थापन का दंश झेल रहा है। झारखंड जैसे राज्यों को अतिरिक्त मदद की जरूरत है।
आयोग ने पीएसयू के ऑडिट पर झारखंड को घेरा
आयोग ने राज्य सरकार के साथ हुई बैठक में पीएसयू के ऑडिट का सवाल उठाया। आयोग के अध्यक्ष डॉ पनगढ़िया ने कहा कि झारखंड के पीएसयू का 10-12 वर्षों से ऑडिट नहीं हुआ है। यह झारखंड के वित्तीय प्रबंधन के लिए ठीक नहीं है।