रांची
झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल में स्थाई रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष और आंदोलनकारी नेता देवेंद्र नाथ महतो ने आज रांची के ऑक्सीजन पार्क में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चेतावनी दी कि अगर योग्य झारखंडी मूलवासी को तुरंत रजिस्ट्रार नियुक्त नहीं किया गया, तो राज्यभर में "उलगुलान" शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पूर्व रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार के निधन (5 मई 2024) के बाद से यह पद एक साल से रिक्त है। अस्थायी तौर पर प्रशांत कुमार पांडेय को प्रभार सौंपा गया, लेकिन उनकी नियुक्ति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हैं। महतो ने आरोप लगाया कि पांडेय मूलतः बिहार के छपरा के निवासी हैं, और उनका बिहार (रजि. सं. 20670) व झारखंड (रजि. सं. 83) दोनों जगह फर्मासिस्ट के रूप में नामांकन है। साथ ही, एक ही आधार कार्ड पर कई स्थानों पर दवा दुकान खोलने के आरोप भी लगाए गए हैं, जिसे फार्मेसी एक्ट 1948 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 का उल्लंघन बताया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि पांडेय की नियुक्ति झारखंड विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से ठीक एक दिन पहले, 14 अक्टूबर 2024 को की गई, और यह पूरी प्रक्रिया महज आठ घंटे में पूरी की गई — जिसमें विभिन्न स्तरों के अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक के हस्ताक्षर शामिल थे। इस पर सीबीआई जांच की मांग लगातार उठ रही है।
फार्मेसी काउंसिल के छह इलेक्टेड और पांच मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन वे अब भी पद पर बने हुए हैं। इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
महतो ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से मांग की कि सबसे पहले काउंसिल के छह सदस्यों का चुनाव कराया जाए और फिर पांच योग्य झारखंडी मूल के लोगों को मनोनीत किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह प्रक्रिया शीघ्र नहीं हुई, तो जेएलकेएम चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेगा। इस मौके पर चंदन रजक, योगेश भारती, अंगत कुमार, विनय कुमार, गुलाम सरवर, रविंद्र, हरेंद्र, देव समेत कई अन्य लोग भी उपस्थित थे।