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रोजगार सृजन के लिए सही नीतियां बने तो पलायन की स्थिति कभी नहीं आएगीः हेमंत सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः 
आज रांची में लक्जरी होटल की स्थापना को लेकर सरकार और टाटा समूह के बीच एमओयू हुआ। इस दौरानकार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि काफी दिनों से इस कार्यक्रम के लिए मैं प्रयासरत था। मैं बहुत सारे राज्यों में गया हूं जहां बहुत चीजें देखने को मिलती है। मुझे लगता है जो चीजें अच्छी हो उसे निश्चित रूप से ग्रहण करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। झारखंड राज्य की एक विशेष पहचान है। विशेषकर खनिज संपदा को लेकर इसकी एक अलग पहचान है। खनिज संपदा ही सिर्फ महत्वपूर्ण नहीं है जो जमीन के अंदर है। बल्कि जमीन के ऊपर भी जो चीजें है वो भी काफी महत्वपूर्ण हैं। कहा जा सकता है उनका इस्तेमाल कर हम एक विकसति राज्य के तौर पर खड़े हो सकते थे। लेकिन राज्य अलग होने के बाद या पहले से नीति निर्धारण में कुछ कमी रही होगी इसलिए आज भी उन ऊंचाईयों को नहीं छू पाए हैं। दुख होता है कि आज भी ये राज्य मजदूर प्रधान है। इस राज्य की तकलीफ और यहां के आम लोगों के अंदर जो एक जीवन जीने की सोच है वो इस कदर डगमगाई रहती है कि उनका भविष्य क्या होगा समझ नहीं आता। 


देश के अलग-अलग राज्यों में, विदेशों में भी यहां से लोग रोजगार तलाशने जाते हैं। मैं कई राज्यों में गया, कई द्वापों में भी मुझे जाने का मौका मिला। कमोवेश हमें वहां झारखंड के लोग रोजगार से जुड़े मिले। तो मैंने सोचा कि ये काम झारखंड में क्यों नहीं हो सकता। हमारे राज्य में रोजगार सृजन के लिए सही नीतियां बने तो कोई कमी नहीं हो सकती। पलायन करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। लॉकडाउन का देश पर क्या प्रभाव पड़ा। अर्थव्यवस्था चरमरा गई। इसी कड़ी में हमलोगों ने कई अच्छे बुरे चीजों को उधेड़ कर रख दिया। पूरे देश दुनिया को तब पता चला कि मनुष्य की क्या ताकत है और आपदा की क्या ताकत है।

टाटा समूह के साथ जो रिश्ता है सदियों से मैं चाहूंगा कि ये और सदियों तक चले। लेकिन इसको हम तभी औऱ मजबूत कर सकते हैं जब राज्य के लोगों के साथ भी हम अपने रिश्ते को मजबूत रखे। मैं टाटा के कई होटलों में रूका हूं। मुझे लगता है कि राज्य सरकार ने हमेशा से यह प्रयास किया है कि टाटा समूह के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़े। आज टाटा समूह सिर्फ खनिज संपदाओं का ही उपयोग नहीं करते बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में इनके बड़े पैमाने पर उद्योग स्थापित हुए हैं। लाखों लोग इस समूह के साथ जुड़े हैं। टाटा समूह का जन्म झारखंड से है। झारखंडी होने के नाते हम अधिकार से कह सकते हैं कि यहां के लोगों के जरूरत को प्राथमिकता में रखे। यहां के लोग बहुत सीधे और सरल हैं। देश को आगे बढ़ाने में टाटा का बहुत बड़ा योगदान है। टाटा का योगदान है तो झारखंड का भी कम योगदान नहीं है। 


अगर झारखंड के लोगों ने सोच लिया तो देश की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। होटला का घोर अभाव है। आज कई बड़े होटलों में मैंने देखा है कि अच्छे अच्छे नौजवान उन होटलों में कार्यरत है। लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे राज्य में भी कुछ ऐसे होटल बने जिससे वो लोग यहीं काम कर सके। मेरी ये सोच थी कि ऐसी चीजें यहां पर निश्चित रूप से पहले से ही विद्यमान होनी चाहिए थी जो अब हो रही है। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को ठहराने का हमारे यहां लिमिटेड व्यवस्था है जहां इनको रखा जा सकता है। हॉकी भी हमने कराया तो हमें चिंता थी कि इतने बड़े कार्यक्रम को कैसे करेंगे। हालांकि डरे सहमे ही सही पर हमने सफलतापूर्वक उस काम को किया। मैं तो ऐसे जगह पर गया हूं जहां झारखँड के भौगोलिक क्षेत्र का आधा भी नहीं होगा। वहां भी ताज समूह के होटल हैं। चाहूंगा कि ये जितना जल्द हो सके सरकार के स्तर पर भी और ताज समूह के तरफ से भी कोई भी अड़चन ना हो। 

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