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सरना धर्म कोड की मांग को लेकर 12 मार्च को महारैली, पड़ोसी देशों से भी शामिल होंगे सरना धर्मावलंबी

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द फॉलोअप डेस्कः 
सरना धर्म कोड की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। विभिन्न आदिवासी संगठन सरना धर्म कोड की मांग को लेकर 5 मार्च को बैठक किया गया था। अब राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान से जुड़े विभिन्न आदिवासी संगठनों की ओर से 12 मार्च को मोरहाबादी मैदान में महारैली का आयोजन किया जा रहा है। इसमें पांच लाख से अधिक सरना धर्म को मानने वाले लोग भाग लेंगे। इसमें भारत के साथ-साथ नेपाल, भूटान, बांग्लादेश के भी वो लोग आएंगे जो सरना धर्म को मानते हैं। महारैली की मुख्य मांग जनगणना परिपत्र में सरना धर्म कोड शामिल करना है। धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा है कि महारैली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। 


बीजेपी हो या हेमंत कोई आदिवासी का भला नहीं चाहता 
बता दें कि 5 मार्च राविवार को भी आदिवासी बचाओ महारैली में आदिवासी समाज के 32 संगठन एक मंच पर आए। इस मौके पर आदिवासी संगठन अपने हक, अधिकार, सीएनटी, एसपीटी, पेशा कानून और सरना कोड लागू कराने की मांग को लेकर काफी तदाद में लोग शामिल हुए। इस दौरान पूर्व मंत्री गीतीश्री उरांव ने अपने संबोधन में कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि पांचवी अनुसूची का दर्जा प्राप्त करने के साथ-साथ आदिवासी मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति आदिवासी के बावजूद आदिवासियों के हित में जितने भी कानून और प्रारूप बने वह हमारे हित में नहीं बने। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य में 18 वर्ष आदिवासी मुख्यमंत्री रहे इसके बवाजूद हालात से लड़ना पड़ रहा है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधाते हुए कहा कि बीजेपी नहीं चाहती कि आदिवासियों का भला हो। वहीं, उन्होंने हेमंत सरकार को लेकर कहा कि अगर बात हेमंत सरकार की करें तो वह भी आदिवासियों के हित में कार्य नहीं कर रही है।  


बता दें कि 2020 में झारखंड विधानसभा ने सरना आदिवासी धर्म कोड प्रस्ताव पास किया गया । इसमें आदिवासियों को अलग धर्म का दर्जा देने की बात कही गई थी। इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार की हरी झंडी चाहिए लेकिन अभी तक केंद्र ने इस प्रस्ताव पर अनुमति नहीं दी है।

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