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अबुआ अधिकार मंच ने झारखंड आंदोलनकारियों के अधिकारों के लिए उठाई आवाज, मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

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रांची
अबुआ अधिकार मंच ने झारखंड आंदोलनकारियों को उनका उचित सम्मान, पहचान और अधिकार दिलाने के लिए राज्य सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है। मंच ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा है कि जिन आंदोलनकारियों ने संघर्ष और बलिदान से झारखंड राज्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, उनके त्याग को उचित सम्मान और संरक्षण प्रदान करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। लेकिन, राज्य निर्माण के इतने वर्षों बाद भी आंदोलनकारियों को न तो उचित पहचान मिली है और न ही उनके कल्याण के लिए ठोस पहल की गई है।
मंच ने उत्तराखंड सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के राज्य आंदोलनकारियों के हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जो झारखंड सरकार के लिए भी अनुकरणीय हो सकते हैं। इसी संदर्भ में मंच ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं। 


मुख्य मांगें:
1.    आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण:
o    वर्ष 2000 को आधार मानकर सभी आंदोलनकारियों की सूची तैयार कर चिन्हीकरण प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए।
2.    सरकारी सेवाओं में अवसर:
o    जिन आंदोलनकारियों ने 7 दिन या उससे अधिक समय जेल में बिताया हो या आंदोलन के दौरान घायल हुए हों, उन्हें और उनके आश्रितों को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में सीधी नियुक्ति दी जाए।
o    अब तक नियुक्त किए गए आंदोलनकारियों की सूची सार्वजनिक की जाए और शेष को जल्द से जल्द रोजगार दिया जाए।
3.    आरक्षण की व्यवस्था:
o    चिन्हित आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 5% अधिमान्य तथा 10% क्षैतिज आरक्षण दिया जाए।
o    50 वर्ष से अधिक आयु वाले आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में आरक्षण की पात्रता न होने पर अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए।
4.    स्वरोजगार के अवसर:
o    सात दिन से कम जेल यात्रा करने वाले आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को स्वरोजगार योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए, साथ ही सामान्य लोगों की तुलना में 5% अधिक सब्सिडी मिले।
o    आंदोलनकारियों के लिए बैंकों से ऋण लेने की विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
o    निजी संस्थानों में भी आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को 10% आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
5.    अनुग्रह राशि:
o    2004 तक आंदोलन के दौरान मुकदमे झेलने वाले आंदोलनकारियों को अनुग्रह राशि प्रदान की जाए:
    गंभीर मामलों में ₹1,00,000
    अन्य मामलों में ₹75,000 और ₹50,000
o    आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमों को अविलंब वापस लिया जाए।
6.    पेंशन की व्यवस्था:
o    सरकारी सेवा से वंचित आंदोलनकारियों को ₹10,000 मासिक पेंशन दी जाए।
o    आंदोलन के दौरान विकलांग हुए आंदोलनकारियों को ₹15,000 प्रतिमाह पेंशन दी जाए।
o    राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार आंदोलनकारियों को ₹10,000 मासिक पेंशन मिले।
7.    समिति का गठन और शहीद स्मारक निर्माण:
o    आंदोलनकारियों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तर पर समिति गठित की जाए।
o    झारखंड आंदोलन के शहीदों की स्मृति में भव्य स्मारक और संग्रहालय का निर्माण किया जाए।
8.    शिक्षा संबंधी सुविधाएं:
o    आंदोलनकारियों के बच्चों को सरकारी और निजी स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा की सुविधा दी जाए।
o    राज्य सरकार आंदोलनकारी परिवारों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना लागू करे।
o    निजी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में आंदोलनकारी परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित सीटों की व्यवस्था हो और उनकी फीस माफ की जाए।
9.    यात्रा भत्ता की सुविधा:
o    स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर झारखंड आंदोलनकारियों को बस और ट्रेन यात्रा में रियायत दी जाए।
अबुआ अधिकार मंच ने इन सभी मांगों पर राज्य सरकार से अविलंब निर्णय लेने की अपील की है। मंच का कहना है कि यदि सरकार इन मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो आंदोलनकारियों को फिर से सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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