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जमीन हड़पने में प्रेम प्रकाश और छवि रंजन रहे हैं विष्णु के सबसे बड़े मददगार, ED ने खोले राज

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द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड में जमीन घोटाला मामले में एक के बाद एक परत खुलते जा रहे हैं। ईडी जैसे-जैसे अपनी जांच को आगे बढ़ाते जा रही है वैसे वैस मालूम होता जा रहा है कि रांची में जमीन घोटाला मामले में अब तक जो लोग जेल गये हैं सबके तार एक दूसरे से कैसे जुड़े हुए थे। कारोबारी विष्णु अग्रवाल, रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, सत्ता के पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश घोटाला में एक दूसरे के मददगार रहे हैं। रांची के चेशायर होम रोड की जमीन से लेकर सेना की सिरमटोली स्थित जमीन  को हथियाने में छवि रंजन बड़े मददगार रहे हैं। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि फेसटाइम, व्हाट्सएप कॉल पर विष्णु अग्रवाल और छवि रंजन की बातचीत होती थी। दोनों गोपनीय दस्तावेज का आदान प्रदान करते थे। ईडी ने छवि के फाइव स्टार होटल में बुकिंग की सुविधा से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए हैं। साथ में यह भी बताया है कि छवि रंजन ने अपने परिजनों को नौकरी दिलाने के लिए दर्जनों बायोडाटा विष्णु अग्रवाल को भेजा था। 


 

2 लाख के अंतर में बेचा जमीन 
ईडी ने बताया है कि विष्णु अग्रवाल ने चेशायर होम वाली 1 एकड़ जमीन प्रेम प्रकाश के करीबी पुनीत भार्गव से 1 अप्रैल 2021 को 1.80 करोड़ में खरीदी थी।  पुनीत भार्गव ने लखन सिंह से यह जमीन 6 फरवरी 2021 को 1.78 करोड़ में खरीदी थी। सिर्फ 2 माह में ही सिर्फ दो लाख के अंतर में जमीन की खरीद बिक्री हुई। ईडी का दावा है कि इस जमीन के कागजात साल 1948 का दिखाते हुए फर्जी तरीके से तैयार किया गया था।  इस काम में भरत प्रसाद, सद्दाम हुसैन, अफसर अली और इम्तियाज अहमद समेत कई अन्य ने भूमिका निभाई थी। इस जमीन का पावर ऑफ अटॉनी इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद ने लिया था, इस जमीन पर कब्जा दिलाने में प्रेम प्रकाश ने अहम भूमिका निभाई थी। 


 

पुगड़ू की जमीन में भी घोटाला
छवि रंजन ने न सिर्फ चेशायर होम की जमीन बल्कि नामकुम के पुगडू स्थित 9.30 एकड़ जमीन दिलाने में भी मदद की थी। इस जमीन के ड्राफ्ट की कॉपी विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन को भेजी थी। उसी ड्राफ्ट के आधार पर छवि रंजन ने संयुक्त सचिव अंजनी कुमार मिश्रा को पत्र लिखा था। एसआईटी ने अपनी जांच में नामकुम की जमीन को खासमहाल का नहीं बताया था। एसआईटी की रिपोर्ट को सरकार ने भी नहीं माना था। इसके बावजूद छवि रंजन ने सबके विरूद्ध जाकर विष्णु अग्रवाल के पक्ष में फैसला किया था। 

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