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झारखंड के सपन से इंप्रेस हुए सोनू सूद, भाया पढ़ाने का अनोखा अंदाज

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द फॉलोअप टीम, दुमकाः
झारखंड के दुमका जिला के सुदूर आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थित जरमुंडी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर के राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पा चुके शिक्षक डॉ सपन पत्रलेख के पढ़ाने की आइडिया की अभिनेता सोनू सूद ने प्रशंसा की है। डॉ सपन को उन्होंने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। अभिनेता सोनू सूद ने डॉ सपन के पढ़ाने के नए तरीके बिजली खंभा से अक्षर ज्ञान के वीडियो को देखकर उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई दी है। सोनू सूद की बधाई एवं मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने पर आदिवासी गांव में एवं डुमरथर विद्यालय के विद्यार्थियों में काफी उत्साह का माहौल है। अभिनेता  सोनू सूद ने  बधाई देते हुए कहा है " सपन भाई को बधाई" इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि वो मदद करना चाहते हैं। इस संबंध में डॉ सपन ने कहा कि उनके लिए गर्व की बात है कि उनके पढ़ाने के तरीके को  राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बेहतर कार्य करने वाले  देश के रियल हीरो सोनू सूद ने उन्हें बधाई दी है । एक दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में उनके पढ़ने के तरीके को उन्होंने पसंद किया है इससे वे काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि डुमरथर विद्यालय के पोषक क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्र या प्ले स्कूल नहीं है जिस कारण सरकारी प्रावधान के अनुसार 6 वर्ष पूर्ण होने के बाद ही बच्चों का नामांकन विद्यालय में होता है। 6 वर्ष के पूर्व तक बच्चे घर  गांव में रहते हैं, आंगनबाड़ी केंद्र नहीं रहने के कारण बच्चे अक्षर, वर्णमाला संख्या ज्ञान से वंचित रहते हैं । इसको ध्यान में रखकर के सीमेंट के बिजली खंभों को हिंदी ,संथाली, अंग्रेजी एवं गणित के संख्याओं को लिखा गया है।  जिनकी उम्र 6 वर्ष से नीचे है वह अपने बड़े भाई बहनों के साथ जब गलियों में अपने घर के बाहर आते जाते हैं तो उनकी नजर बिजली खंभों पर पड़ती है जिसे देखकर बच्चे सीखते हैं ।यह काफी सुरक्षित है क्योंकि इसमें बच्चे बिजली खंभा को देखकर के पढ़ने के  शिक्षा शास्त्र का उपयोग करते हैं। 


सोनू रियल हीरो हैं
डॉ सपन पत्रलेख  ने कहा कि उन्हें सोनू सूद से किसी भी प्रकार की मदद रुपए, पैसा या वस्तु की आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी भी प्रकार की मदद निश्चित तौर पर  एक दिन समाप्त हो जाता है। यदि मदद करनी है तो वह शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सोनू के साथ मिलकर काम करने की बात कही। उन्होंने कहा है कि झारखंड प्रदेश के कई गांव में इस तरह की समस्या है जहां आंगनबाड़ी केंद्र या प्ले स्कूल नहीं रहने के कारण  बच्चे पढ़ाई से वंचित रहते हैं। वैसे बच्चे जो 6 साल के बाद स्कूल जाते हैं उसके लिए यह बिजली खंभों में लिखा ज्ञान काफी मदद करता है। डॉ सपन ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से कहा  देश के सभी गांव में जहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है वहां नए बिजली खंभे का जब अधिष्ठापन किया जाए तो उन बिजली खंभों में स्थानीय स्तर पर बोलचाल वाली  मातृभाषा में अक्षरों ,संख्याओं ,वर्णमाला को लिखा जाए जिससे बच्चे देखकर इस तकनीक से काफी कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने सोनू सूद को कहा है कि सोनू सर सिर्फ रील हीरो नहीं रियल हीरो है वह लगातार कोरोना कल में भी काफी कार्य किए हैं। कई लोगों को चिकित्सा एवं अन्य क्षेत्रों में लगातार मदद कर रहे हैं। अब जरूरत है भारत देश को आगे ले जाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता है क्योंकि गरीबी को समाप्त करने का सबसे बड़ा हथियार शिक्षा है। 


गांव में आने का दिया निमंत्रण
सोनू सूद की बधाई एवं मदद की अपील के बाद समुदाय एवं विद्यार्थियों के साथ डॉ सपन पत्रलेख ने एक बैठक कर सबों को इसकी जानकारी दी और सबों ने एक साथ मिलकर निर्णय लिया कि सोनू सूद से किसी प्रकार की मदद नहीं लेनी है।  मदद के जगह पर उन्हें डुमरथर गांव में आमंत्रित किया है तथा शिक्षा के क्षेत्र में सपन सर के साथ कार्य करने में सहयोग करने की अपील की है। विदित होकर डॉ सपन पत्रलेख के पढ़ने का अनोखा आइडिया ब्लैकबोर्ड मॉडल एवं व्यस्क शिक्षा कार्यक्रम  ने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।

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