द फॉलोअप डेस्क, रांची:
भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ही कर्मचारियों के खाते से जबरन 2.80 करोड़ रुपये निकाल लिए। एसबीआई, जिसकी कारस्तानियों की लंबी फेहरिश्त है, उससे केवल बैंक के उपभोक्ता ही नहीं बल्कि कर्मचारी भी परेशान हैं। नई खबर ये है कि एसबीआई ने कर्मचारियों से उनकी सहमति लिए बगैर उनके खाते से 2.80 करोड़ निकाल लिए हैं। बैंक के इस कृत्य से कर्मचारी परेशान हैं लेकिन कोई भी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। एक कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि एक सोशल कॉज के लिए उन्हें पैसा डोनेट करना था लेकिन वे ऐसा करते इससे पहले ही उनके बैंक खातों से राशि निकाल ली गई। कर्मचारी इसे अपने बैंक खाते में अनावश्यक हस्तक्षेप मान रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनका पैसा वापस लौटाया जाये।
एसबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन पर उठे सवाल
दरअसल, 1972 में एसबीआई पटना मंडल के तहत बिहार और झारखंड के कर्मचारियों को मिलाकर एक एसोसिएशन बनाई गई थी। इसका नाम है एसबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन। वर्ष 2022 में एसोसिएशन ने तय किया कि सोशल कॉज से मुंबई में एक कैंसर गेस्ट हाउस बनाया जाए ताकि वहां इलाज करा रहे लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो। गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए एसोसिएशन के 7,000 सदस्यों से अपील की गई कि वे दान करें। इसके लिए बकायदा स्लैब बनाया गया कि किस स्तर के कर्मचारी को कितना पैसा दान करना है। इसमें स्कैल 1 के कर्मियों को 3000, स्केल 2 और 3 के कर्मियों को 4,000 और स्केल 4 और 5 के कर्मियों को 5,000 रुपये डोनेट करना था। एसोसिएशन की अपील पर 1200 कर्मचारियों ने पैसा डोनेट भी किया जो कुल मिलाकर 52 लाख रुपये था। बाकी कर्मचारियों ने अभी पैसा डोनेट नहीं किया था लेकिन अचानक एक दिन उनके खाते से पैसे डेबिट हो गये।
7 हजार कर्मियों के खाते से 2.80 करोड़ की निकासी
कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सभी 7 हजार कर्मचारियों के खाते से 4-4 हजार रुपये निकाले गये हैं। पैसे उनके भी खाते से निकाल लिए गये जिन्होंने स्वेच्छा से दान किया था। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पैसा डोनेट करने में दिक्कत नहीं है, परेशानी इस बात की है कि उनकी जानकारी के बगैर ऐसा किया गया। उनकी सहमति के बिना पैसे निकाल लिये गये। आशंका व्यक्त की जा रही है कि इसमें एसोसिएशन में शीर्ष पर बैठे लोग और बैंक प्रबंधन में शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा किया गया है।
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर घिरा है भारतीय स्टेट बैंक
गौरतलब है कि एसबीआई पहले ही इलेक्टोरल बॉन्ड सहित अन्य मसलों को लेकर आलोचना का सामना करता रहा है। बैंक की कार्यशैली से उपभोक्ताओं के परेशान होने की बात नई नहीं है। इस मामले से ऐसा लगता है कि केवल उपभोक्ता ही नहीं बल्कि, कर्मचारी भी एसबीआई की कारस्तानियों से परेशान हैं। कर्मचारियों की सहमति के बिना उनके खाते से करोड़ों रुपये की निकासी करना क्या किसी बड़े स्कैम की ओर इशारा नहीं करता। ये एक गंभीर शिकायत है।