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शिक्षा : जामताड़ा में बसाई जा रही है किताबों की दुनिया, अब सिर्फ साइबर ठगी के लिए ही नहीं रहा मशहूर

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जामताड़ाः


जामताड़ा जिला की जब भी चर्चा होती है तो सबसे पहली छवि यही उभर कर आती है कि यह जिला साइबर ठगों का गढ़ है। जामताड़ा को लेकर कई फिल्में भी बनाई गयी हैं। पर पिछले तीन सालों में इसकी सूरत थोड़ी-थोड़ी बदली जा रही है। जामताड़ा के गांव गांव में किताबों की दुनिया बसायी जा रही है। जिले के कप्तान फैज अहमद मुमताज की अगुवाई में हर पंचायत में एक-एक सामुदायिक लाइब्रेरी खोली जा चुकी है। गांव के युवक अब निठल्ले घूमने की बजाए अपने घरों के पास लाइब्रेरी में जा रहे हैं।


खंडहर भवनों को बनवाया गया 
जिले में 124 सरकारी भवन ऐसे थे जो खंडहर हो गये थे। इनकी मरम्मति करायी गयी। सरकारी भवनों को दोबारा से कम खर्चे पर रेनोवेट किया गया। 118 में सामुदायिक पुस्तकालय खोले गये। 6 भवनों को ओल्ड एज क्लब में बदला गया। वर्तमान में 118 सामुदायिक पुस्तकालयों में रोजाना ही तकरीबन 5000 युवा और बच्चे शिफ्टों में पढ़ने पहुंच रहे हैं।  छह ब्लॉक में स्थित ओल्ड एज क्लब में आकर क्षेत्र के सैकड़ों बुजुर्ग अपना अकेलापन दूर कर रहे हैं। 
 

खैरा पंचायत के सामुदायिक लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन गौर चंद्र यादव बताते हैं कि नवंबर 2020 में उनके यहां लाइब्रेरी खुली। प्रशासन के स्तर से या व्यक्तिगत तौर पर भी कुछ लोग आकर तैयारियों में मदद करते हैं। दूसरे हाफ में स्कूली बच्चे भी आते हैं। डीसी ने ग्रामीणों को इसके जरिये आगे बढ़ने की राह दिखलायी है।


 छोटे स्तर से कामयाबी के बेहतर किस्से निकलेंगे
जामताड़ा डीसी फैक अहमद मुमताज कहा है कि किसी समाज की सुनहरी सूरत गढ़ने को वहां शिक्षा और स्वास्थ्य पर इन्वेस्ट करना लाभकारी होता है। जामताड़ा में गांव गांव में लाइब्रेरी खोले जाने को एक बार आइडिया कंसीव हो गया तो शुरूआती परेशानियों के बाद राह खुलती गयी। उम्मीद है कि लाइब्रेरी के जरिये छोटे छोटे स्तर से कामयाबी के बेहतर किस्से निकलेंगे।