रांची
मरांग बुरु पारसनाथ पर्वत मधुवन गिरिडीह में जैन समुदाय के द्वारा अतिक्रमण के विरोध में विशाल प्रतिवाद मार्च जन आक्रोश रैली 12 मार्च को होगी। आयोजन में विभिन्न आदिवासी जनसंगठनों के लोग हिस्सा लेंगे। कहा गया है कि वन भूमि क़ानून और सीएनटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए जैन समुदाय के लोगों ने पर्वत पर क़ब्ज़ा करने के नियत से 50 से भी अधिक मंदिर मठ का निर्माण किया है। केंद्र सरकार और झारखंड सरकार को गुमराह कर पूरे पर्वत पर अपना दावा ठोक दिया है। मरांग बुरु पारसनाथ पर्वत को संथाल आदिवासी ईश्वर के रूप में मरांग बुरु के नाम पर पूजा करते हैं। पहाड़ पर युग जाहेर थान सरना और दिशोम माँझी थान अवस्थित है। जहां पर नित्य पूजा पाठ होती है।
कहा कि पारसनाथ पर्वत का प्राचीन नाम मरांग बुरु ही है। पारसनाथ पर्वत पर आदिवासियों को प्रथागत अधिकार प्राप्त है। जैन समुदाय के लोगों के द्वारा झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है। जिसमें मांस मदिरा पर रोक लगाने की मांग है। ये दरअसल आदिवासियों की बलि प्रथा और प्रथागत अधिकार पर रोक लगाने की साज़िश है।
जैन समुदाय के अतिक्रमण और न्यायलय के माध्यम के बलि प्रथा पर रोक लगाने की साज़िश के कारण आदिवासी समाज में काफी आक्रोश है। अपने धार्मिक स्थल मरांग बुरु को बचाने और अपनी प्रथागत अधिकार को बरकरार रखने के लिए कटिबद्ध हैं। इसके लिए आंदोलन बड़ी हूल उलगुलान की तैयारी चल रही है। इसका शंखनाद 12 मार्च को मधुवन पारसनाथ पर्वत मरांग बुरु में होगा।