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बिचौलिये इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि आपकी मेहनत की गाढ़ी कमाई अपनी जेब में भर रहे हैंः हेमंत सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 6 वर्षों तक इस राज्य का मार्गदर्शन किया और आज देश को नई दिशा दिखा रही हैं।  उन्होंने कहा कि आज यहां कृषि से जुड़े विषय पर बातें रखी जा रही है। हम आज किसानों की बात कर रहे हैं। हम किसानों के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं। कागजों में भी आंकड़ें बड़े-बड़े दिखाते हैं। आज हम 50-55 प्रतिशत लाह उत्पादन की बात करते हैं। पहले हम 70 प्रतिशत लाह उत्पादन करते थे। किसानों की आज क्या हालत है वो किसी से छिपा नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लखपति दीदी बने किसान, लखपति क्यों करोड़पति क्यों नहीं। वह बन सकती हैं ये कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं है। बशर्ते किसानोें के लिए जो नीति निर्धारण सही हो। किसानों का खेत से लेकर बाजार तक का जो सफर है वहां बिचौलियों की कोई जगह ना हो। आज मुझे लगता है कि बिचौलियों की जमात इतनी शक्तिशाली हो गई है कि आपके मेहनत की गाढ़ी कमाई वो अपने जेब में भर रहे हैं।

 
हेमंत सोरेन ने कहा कि किसानों को हमने सदियों से सर आंखों पर रखा है। जय जवान जय किसान जैसे नारे देश में गूंजे हैं। लेकिन किसान कितना मेहनत करता है, कितना जद्दोजहद करता है, ग्रामीण क्षेत्रों में किसान से पूछा जाए तो पता चलता है। आज जिस तरह से पर्यावरण में परिवर्तन है, जिस तरह से कभी कम बारिश, कभी ज्यादा बारिश, कभी सुखाड़ जैसी स्थिति है। 100 सालों में अगर हम किसानों की संख्या देखे तो बड़े पैमाने पर खेतिहर मजदूर बनने को मजबूर हैं। हमें इन्हें बचाने की आवश्यकता है। इसका हल और उपाय कैसे निकले इसके बारे में केंद्र और राज्य दोनों को सोचने की आवश्यकता है। वैकेल्पिक खेती के ओर किसान कैसे आगे बढ़े इसपर हमलोगों ने लगातार काम किया है। 


लाह उत्पादन को भी हमने कृषि का दर्जा दे दिया है। हमारे सरकार बनते ही कोरोना काल आ गया। सब लोग मास्क लगाकर घर में थे। उस समय भी मैं ये संस्था में कैसे आगे बढ़े, किसानों को कैसे जोड़ जाए उसपर काम कर रहा था। हमें निश्चित रूप से आज के भौतिक वादी युग में किसानों को जीवित रखना उनकी आय को स्रोतों में बढ़ावा कैसे हो, कैसे वैकेल्पिक खेती को बढ़ाया जाए, कैसे पशुपालन को बढ़ाया जाए इस पर हमें मजबूती से कदम आगे बढ़ाने की आवश्यकता है और संकल्प लेने की आवश्यकता है कि किसान को कैसे हम आत्मनिर्भर बनाए। 


 

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