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Ranchi : IAS पूजा सिंघल के ठिकानों पर ED की छापेमारी में अब तक क्या हुआ! सत्ता की चहेती रही हैं खनन सचिव

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रांची: 

शुक्रवार की सुबह तकरीबन 5 बजे राजधानी रांची में अलसाए लोगों का सामना ईडी की ताबड़तोड़ छापेमारी की सुर्खियों से हुआ। आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के सरकारी आवास सहित सत्ता के करीबी लोगों से जुड़े 20 ठिकानों पर ईडी की छापेमारी जारी है। ये कार्रवाई झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और दिल्ली के 20 ठिकानों पर जारी है। ईडी की अलग-अलग टीमों ने रांची, खूंटी, जयपुर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, कोलकाता, मुजफ्फपुर और दिल्ली में एक साथ छापा मारा। 


सूचना है कि कारोबारी अमित अग्रवाल के भी कई ठिकानों पर ईडी की टीम छापेमारी कर रही है। गौरतलब है कि अमित अग्रवाल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी बताए जाते हैं। 

आईएएस पूजा सिंघल के आवास पर छापेमारी
कहा जा रहा है कि ईडी ने ये कार्रवाई अवैध खनन से जुड़े मामलों में की। रांची में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के सरकारी आवास सहित कांके रोड के चांदनी चौक स्थित पंचवटी रेसिडेंसी के ब्लॉक नंबर-9, लालपुर के हरिओम टावर स्थित नई बिल्डिंग और बरियातू के पल्स हॉस्पिटल में भी छापेमारी की गई। खूंटी में भी ईडी ने छापेमारी की है। 

खनन सचिव के खिलाफ ईडी की कार्रवाई क्यों
चलिए अब सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं कि पूजा सिंघल के खिलाफ ईडी की ये कार्रवाई क्यों हो रही है। सबसे पहला मामला खूंटी में मनरेगा के 18.06 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ा है। जून 2020 में ईडी ने मनरेगा में घोटाला को लेकर खूंटी जिले के तात्कालीन जूनियर इंजीनियर रामविनोद प्रसाद सिन्हा को गिरफ्तार किया था। उन पर जिले में मनरेगा के 18.06 करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप था। ईडी की पूछताछ में जूनियर इंजीनियर ने कई नौकरशाहों का नाम लिया जिनमें एक नाम खूंटी की तात्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल का भी था। रामविनोद प्रसाद सिन्हा ने ईडी को बताया था कि कमीशन की राशि डीसी ऑफिस भी पहुंचाई जाती थी। इस मामले में पूजा सिंघल लंबे समय से ईडी की रडार पर थीं। 

चतरा में एनजीओ को पहुंचाया था वित्तीय फायदा! 
दूसरा मामला चतरा जिले में 2 एनजीओ को वित्तीय फायदा पहुंचाने से जुड़ा है। दरअसल, अगस्त 2007 से जून 2008 तक पूजा सिंघल चतरा की उपायुक्त थीं। उन्होंने वेलफेयर प्वॉइंट और प्रेरणा निकेतन नाम के 2 एनजीओ को मूली की खेती के लिए 6 करोड़ रुपये का भुगतान किया लेकिन मूली की खेती कभी हुई ही नहीं। इस राशि का किसके हित में इस्तेमाल हुआ ये जांच का विषय है। 

पलामू डीसी रहते खनन कंपनी को भूमि आवंटन
पूजा सिंघल पर आरोप है कि पलामू की उपायुक्त रहते उन्होंने एक निजी माइंस कंपनी कठौतिया कोल माइंस को 83 एकड़ वनभूमि का आवंटन कर दिया। ये पूरा मामला अवैध खनन से जुड़ा है। 

सरकारों की चहेती रहीं हैं आईएएस पूजा सिंघल
इतना कुछ जान लेने के बाद अब ये भी समझ लीजिए कि पूजा सिंघल झारखंड में क्या हैसियत रखती हैं। उनका कितना प्रभाव है। सियासी गलियारों में चर्चा आम है कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल सत्ता की चहेती रही हैं। पूरे कार्यकाल के दौरान उनकी सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों के साथ नजदीकी रही है चाहे सरकार किसी भी पार्टी की रही हो। पूर्ववर्ती रघुवर दास कार्यकाल में भी पूजा सिंघल कई अहम पदों पर रहीं और मौजूदा हेमंत कार्यकाल में भी उनकी पांचों उंगलियां घी में हैं। 

खनन और भू-विज्ञान सचिव हैं आईएएस पूजा सिंघल 
पूजा सिंघल मौजूदा समय में झारखंड सरकार में खनन और भू-विज्ञान विभाग की सचिव हैं। पूजा सिंघल उद्योग विभाग की भी सचिव हैं। सरकार की विशेष कृपादृष्टि का आलम कहें या पूजा सिंघल की अद्भुत योग्यता, खनन और उद्योग विभाग की सचिव होने के साथ-साथ वो जेएसएमडीसी की अध्यक्ष भी हैं। खनन विभाग की सचिव और जेएसएमडीसी की अध्यक्ष होने को लेकर उनके खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की जा चुकी है।

जेएसएमडीसी की अध्यक्ष भी हैं आईएएस पूजा सिंघल
दरअसल, जेएसएमडीसी से पारित आदेश का अपीलीय अधिकार खनन विभाग के सचिव के पास होता है। अब, जबकि दोनों ही पदों पर एक ही व्यक्ति बैठा हो तो न्याय कहां से मिलेगा। इस बीच ताजा कार्रवाई से केवल पूजा सिंघल ही मुश्किलों में नहीं घिरी हैं बल्कि पहले ही खनन पट्टा का लीज हासिल करने को लेकर पद गंवाने की कगार पर खड़े मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी चौतरफा घिरे हैं। दरअसल, जिस खनन और उद्योग विभाग की पूजा सिंघल सचिव हैं, वे दोनों विभाग मुख्यमंत्री के पास है। 

अब आप समझ ही गये होंगे, दुनिया का चक्र। सब कुछ घुमा-फिराकर एक ही जगह पर खत्म होता है। वैसे राजनीति में राजनेता ये जुमला विरोधियों के लिए खूब इस्तेमाल करते हैं कि, सच कितना भी नीचे गड़ा हो बाहर आ जाता है। दिक्कत बस ये है कि ये बात कभी-कभी खुद पर भी लागू हो जाती है।