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ओडिशा रेल हादसा : मुर्दाघर में लाशों के ढेर के नीचे से अचानक हिला हाथ, फिर हैरान कर देने वाली बात आई सामने

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द फॉलोअप डेस्क
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को शाम 7 बजकर 10 मिनट पर तीन ट्रेनें एक-दूसरे से टकराई। सरकारी आंकड़े के अनुसार 275 लोगों की मौत हो गई है एक हजार से अधिक लोग घायल हुए। 6 जून को ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी ने बताया कि अभी भी 100 से ज्यादा लाशों की पहचान बाकी है। लाशों के ढेर के बीच लोग अपनों को ढूंढ रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि एक शव पर पांच-पांच लोग दावा कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार घटना के बाद काफी ढूंढने पर एक व्यक्ति को अपने भतीजे का शव मिला। इसके बावजूद वह उसे अंतिम संस्कार के लिए ले जा न सका। क्योंकि, पांच और लोगों ने भी अपने रिश्तेदार का शव बताकर दावा कर दिया। ऐसे में अब इस बॉडी का DNA टेस्ट होगा। इसके बाद शव सौंपा जाएगा। इस बीच जिंदा व्यक्ति को भी मुर्दाघर में रखने का मामला सामने आया है। लाशों के ढेर के बीच अचानक हाथ हिलाए जाने से सनसनी फैल गई। तब लोगों को पता चला कि कोई जिंदा तो नहीं है।

युवक के पिता ने बताई पूरी घटना
जिस युवक के साथ यह घटना घटी है उसका नाम बिश्वजीत है। उसके पिता हेलाराम मलिक  ने बताया कि बेटा सांतरागाछी से कोरोमंडल ट्रेन में बैठक कर चेन्नई जा रहा था। करीब 7:30 बजे उसने फोन कर बताया कि ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया, वह बुरी तरह जख्मी हो गया। फोन करनेक बाद वह बेहोश हो गया। तब लोगों ने उसे मरा हुआ समझकर बालासोर स्कूल में बनाए मुर्दाघर में रख दिया उसके ऊपर लाशें रख दी गईं। लेकिन जैसे ही उसे होश आया तो अपना हाथ हिलाया। तब लोगों ने देखा की वह जिंदा है फिर उसे अस्पताल में भर्ती कराया। बेटे के फोन आने के बाद फोन के बाद हम उसे ढूंढने पहुंच गए थे। आखिरकार वह हमें बालासोर अस्पताल में मिला।

डीएनए टेस्ट से होगी पहचान में नहीं आने वाले शवों की जांच
जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है, उनकी पहचान DNA टेस्ट से होगी। भुवनेश्वर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का कहना है कि शवों पर दावा कर रहे परिजनों के 30 DNA सैंपल दिल्ली AIIMS को भेजे जाएंगे। 7-8 दिनों में रिपोर्ट आने के बाद ही रिश्तेदारों को संबंधित डेडबॉडी सौंपी जाएगी।

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