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रिपोर्ट कार्ड : मोदी सरकार के आठ साल पूरे ,महंगाई और बेरोजगारी रही बड़ा मुद्दा

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डेस्क :
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने अपने आठ साल पूरे कर लिए है। इसके साथ ही सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। सरकार के 8 साल पूरे होने पर बीजेपी कई कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी आज हैदराबाद और चेन्नई के दौरे पर है। जहाँ वे करोड़ो की परियोजनाओ का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। 

कैसा रहा बीता 8 साल 
नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते 8 वर्षो में राम मंदिर बनाने और अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए सबसे ज्यादा सुर्खिया बटोरी। लेकिन ,बेरोज़गारी और महंगाई ने लगातार सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा भी किया है। क्या रहा बीते 8 सालो में मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड,आइये इसे समझते है आकड़ो के जरिये सिलसिलेवार तरीके से -

2017 से खस्ता हुआ GDP का हाल 
26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के वक़्त देश की जीडीपी वृद्धि की दर 7.4 फीसदी थी। साल 2016 तक इसमें वृद्धि हुई लेकिन ,नोट बंदी के बाद इसमें गिरावट की शुरुआत हो गई। एक वक़्त ऐसा आया की यह 0 से भी नीचे चला गया। 2020 में कोरोना के असर के चलते जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक हो कर-7. 3 फ़ीसदी पर पहुंच गया।  

महगाई और बेरोजगारी ने लोगों की तोड़ी कमर 
साल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय खुदरा महंगाई दर 8.33 फीसदी थी। पिछले माह अप्रैल 2022 में देश में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी हो गई है,ये आठ साल का उच्चतम स्तर है। वहीं,थोक महंगाई भी तेजी से बढ़ते हुए 15 फीसदी के स्तर को पार कर गई है। रोजगार देने के मामले में भी नरेंद्र मोदी सरकार की हालत अच्छी नहीं रही है। बीते आठ साल के दौरान देश में बेरोजगारी दर में इजाफा देखने को मिला है। साल 2014 में बेरोजगारी दर की बात करें तो यह 5.60 फीसदी थी, जबकि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के ताजा आंकड़ों को देखें तो अप्रैल 2022 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 7.83 फीसदी पर पहुंच गई है। 

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट 
भारत में बढ़ती महंगाई के पीछे डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आ रही गिरावट का बड़ा योगदान है। मंगलवार 22 मई को रुपया डॉलर के मुकाबले टूटकर 77.59 के निचले स्तर तक पहुंच गया। बीते दिनों रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निम्न स्तर को छुआ था और 77.70 तक टूट गया था। वहीं बात करें मोदी के सत्ता संभालने से पहले की, तो 24 मई 2014 को डॉलर के मुकाबले रुपया 58.39 के स्तर पर था।

पेट्रोल-डीजल की कीमतो में बड़ा उछाल फिर राहत 
2014 सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार में पेट्रोल -डीजल की कीमते बड़ा मुद्दा रही। मई 2014 में देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71.41 रुपये प्रति लीटर थी, जो कि 24 मई 2022 को 96.72 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुकी है। यह हाल तब है जब सरकार ने हाल ही में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती कर जनता को राहत दी है। डीजल की बात करें तो मई 2014 में 55.49 रुपये प्रति लीटर की दर से बिकता था।  जो अब 89.62 रुपये प्रति लीटर हो चुका है।

प्रति व्यक्ति आय में हुई बढ़ोतरी 
प्रति व्यक्ति आय के स्तर पर देखें तो बीते आठ साल में यह तेजी से बढ़ी है। मोदी सरकार जब सत्ता में आई उस वक्त प्रति व्यक्ति सालाना आय 79 हजार रुपये थी, जो अब बढ़कर 1.50 लाख रुपये हो चुकी है।

2014 के बाद लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में हुए  बढ़ोतरी 
मई 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 312 अरब डॉलर के करीब था, जो कि लगातार बढ़ते हुए 600 अरब डॉलर के पार निकल गया।लेकिन, बीते कुछ सप्ताह में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। यह 13 मई को समाप्त हुए सप्ताह में लगभग 593 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। बीते आठ साल में यह पहली बार 600 अरब डॉलर के नीचे आया है।