नई दिल्ली: अनुसंधानर्ताओं के एक दल ने बिहार के गया में ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर औषधीय पौधों की एक श्रृंखला का पता लगाया है, जिनमें सबसे उल्लेखनीय मधुमेह विरोधी गुणों वाला गुड़मार है। गुड़मार में पाये जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भारत की प्रमुख अनुसंधान एजेंसी, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) पहले ही मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 विकसित करने के लिए गुड़मार (जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे) का उपयोग कर चुकी है। एमिल फार्मा के जरिए बाजार में आई यह दवा सफल भी रही है। ‘गया की ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले कुछ औषधीय पौधों पर नृजातीय वनस्पति विज्ञान संबंधी अनुसंधान’ नामक इस अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि पहाड़ी पर मौजूद सबसे अधिक उपयोग में आने वाले औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सके। गुड़मार ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले तीन औषधीय पौधों में से एक है। यह पहाड़ी प्राकृतिक उपचारों का खजाना है, जिस पर पारंपरिक चिकित्सक सदियों से विविध औषधीय जड़ी-बूटियों के लिए भरोसा करते रहे हैं।
पहाड़ी पर पाए जाने वाले औषधीय गुणों वाले अन्य पौधे ‘पिथेसेलोबियम डुल्स’ और ‘ज़िज़िफस जुजुबा’ है तथा इन पर अनुसंधान अब भी जारी है।
इस अध्ययन का लक्ष्य स्थानीय लोगों द्वारा चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाने वाले पौधों को एकत्र करना और उनकी पहचान करना तथा औषधीय आधारित पारंपरिक चिकित्सा के बारे में सूचनाओं का प्रलेख तैयार करना था।
अध्ययन में कहा गया है,‘‘पारंपरिक उपचार विशेषज्ञता को संरक्षित करने के लिए प्रयुक्त पौधों की प्रजातियों की उचित रिकॉर्डिंग और पहचान आवश्यक है।’’
यह अध्ययन ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रीएटिव रिसर्च थॉउट्स’ में हाल में प्रकाशित हुआ। उसके अनुसार गुड़मार ‘जिमनेमिक’ अम्ल की उपस्थिति के कारण रक्त सर्करा स्तर घटाने की अनोखी क्षमता के लिए जाना जाता है।
हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थौट्स (आईजेसीआरटी) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार गुड़मार में पाये जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता है। जिम्नेमिक एसिड की खूबी यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है। जिससे मिठास की लालसा रुक जाती है।
इसमें कहा गया है कि गुड़मार का पौधा हाल ही में बीजीआर-34 दवा के महत्वपूर्ण घटकों में से एक के रूप में प्रकाश में आया है। सीएसआईआर द्वारा विकसित इस दवा को एमिल फार्मा ने बाजार में उतारा जोकि मधुमेह के साथ-साथ ‘लिपिड प्रोफाइल’ को भी नियंत्रित करने में सक्षम है।
नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने वर्ष 2022 में एक अध्ययन में यह भी पुष्टि की है कि बीजीआर-34 रक्त शर्करा के साथ साथ मोटापा कम करने में भी असरदार है। शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) तंत्र में भी सुधार करती है।
एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि बीजीआर-34 में गुड़मार के साथ साथ दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मजीठ व मैथिका औषधियां भी शामिल हैं। यह मधुमेह, लिपिड प्रोफाइल और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाती है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं की लोकप्रियता में वृद्धि देखी जा रही है, जिसका कारण जीवनशैली में परिवर्तन से जुड़ी गैर-संचारी बीमारियों का बढ़ता प्रचलन और निवारक स्वास्थ्य पर जोर दिया जाना है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में कहा है कि बीजीआर-34 की तरह मधुमेह की पहली दवा मेटफॉर्मिन भी एक औषधीय पौधे गैलेगा से बनी है। इसलिए गुड़मार पर और भी गहन शोध किए जाएं ताकि नई पीढ़ी को एक और प्रभावी चिकित्सा विकल्प उपलब्ध हो सके