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SC ने असम सरकार को लगाई फटकार, डिटेंशन सेंटर में विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखने का कारण पूछा

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द फॉलोअप डेस्क 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम के मटिया डिटेंशन सेंटर में 270 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखने के मामले में राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने ऐसा हलफनामा पेश किया है, जिसमें न तो हिरासत का ठोस कारण बताया गया है और न ही निर्वासन की प्रक्रिया पर कोई जानकारी दी गई है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस नोंग्मीकापम कोटिस्वर सिंह ने असम सरकार के जवाब पर नाराजगी जताई। अब राज्य के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होकर सफाई देनी होगी।

कोर्ट ने जताई नाराजगी
कोर्ट ने पहले सरकार को हिरासत का कारण और निर्वासन की प्रक्रिया स्पष्ट करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया था। लेकिन सरकार का जवाब अधूरा और कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन पाया गया। कोर्ट ने कहा, "हलफनामे में हिरासत का कोई औचित्य नहीं दिया गया और निर्वासन के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र नहीं है। यह कोर्ट के आदेशों की अनदेखी है।"
असम सरकार के वकील ने कहा कि इन लोगों को विदेशी घोषित कर हिरासत में लिया गया है और उन्हें देश से निकालने की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, कोर्ट ने पूछा कि अब तक निर्वासन की प्रक्रिया क्यों शुरू नहीं हुई।

हलफनामे पर विवाद
सुनवाई के दौरान असम सरकार के वकील ने कहा कि हलफनामा गोपनीय और सीलबंद रहना चाहिए, क्योंकि इसमें संवेदनशील जानकारी है। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया, "हलफनामे में क्या गोपनीय है?" वकील ने जवाब दिया कि इसमें पते जैसे निजी विवरण हैं, जो मीडिया में उजागर हो सकते हैं। हलफनामे को सीलबंद रखने पर कोर्ट ने सहमति दी, लेकिन साथ ही राज्य सरकार पर पारदर्शिता न दिखाने का आरोप लगाया। अब अगली सुनवाई में मुख्य सचिव को इन सभी सवालों के जवाब देने होंगे।


 

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