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42 साल पहले का वो काला दिन, जब 800 लोगों की मौत हो गयी थी रेल हादसे में!

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द फॉलोअप डेस्कः 
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस रेल हादसे सैंकड़ों लोगों की जान चली गई। इस रेल हादसे ने एक बार फिर से उस हादसे की  यादों को ताजा कर दिया, जब ट्रेन की 7 बोगियां पुल तोड़कर नदी में समा गई थी।  ये रेल भारतीय रेल की इतिहास में वह दिन काले धब्बे की तरह है, जिन्हें चाहकर भी मिटाया नहीं जा सकता है। 6 जून 1981 को हुए इस रेल हादसे ने केवल देश ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। भारतीय रेल के इतिहास का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा माना गया है। 6 जून 1981 की वो शाम 9 डिब्बों के साथ पैसेंजर ट्रेन 416DN मानसी से सहरसा की ओर जा रही थी। उस वक्त खगड़िया से सहरसा जाने वाली ये एकलौती ट्रेन थी, इसलिए भीड़ भयानक थी। ट्रेन की बोगियां उफनती बागमती में जा गिरी थी यह ट्रेन मानसी से सहरसा को जा रही थी। इस हादसे में 800 लोगों की मौत हो गई थी। 


कैसे हुआ था हादसा
इस रेल हादसे को लेकर कई थ्योरी सामने आई। कुछ में कहा गया कि रेल ट्रैक पर गाय-भैस का झुंड आने की वजह से ड्राइवर को इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा। कुछ में कहा गया कि आंधी और बारिश की वजह से लोगों ने ट्रेन की सभी खिड़कियों को बंद कर दिया था, जिसके कारण तेज तूफान होने की वजह से पूरा दबाव ट्रेन पर पड़ा और बोगियां पूल तोड़कर नहीं में गिर गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में करीब 300 लोगों की जान चली गई, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मरने वालों की संख्या कम से कम 800 से 1000 थी।  नदी में समा गए लोगों की लाशों को निकालने में कई हफ्तों का वक्त लग गया। गोताखोर 286 लाशें ही निकाल पाए, कईयों को तो पता नहीं चल सका। ये रेल हादसा भारत का अब तक का सबसे बड़ा ट्रेन एक्सीडेंट है।

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