देहरादून:
उत्तराखंड, भारत का दूसरा राज्य होगा जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू होगी। शुक्रवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्णय लिया है। पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गोवा के बाद इसे लागू करने वाला उत्तराखंड दूसरा राज्य होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसी भी धर्म और संप्रदाय के लोगों के लिए यूसीसी लाएंगे। पुष्कर सिंह धामी के इस बयान ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की बहस को तेज कर दिया है।
Uttarakhand | We have taken a decision to implement the Uniform Civil Code in the state. Uttarakhand will be the second state after Goa to implement this. We'll bring UCC for the people irrespective of them being from any religion & sect: CM Pushkar Singh Dhami in Champawat pic.twitter.com/WTk4M4MU14
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 27, 2022
बीजेपी का मुख्य एजेंडा यूनिफॉर्म सिविल कोड
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख एजेंडो में से एक यूनिफॉर्म सिविल कोड भी रहा है। भारतीय जनता पार्टी जब साल 2014 में सत्ता में आई थी तो राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की समाप्ति के साथ यूनिफॉर्म सिविल कोड भी उनके एजेंडे में शामिल था। बीजेपी लंबे वक्त से कहती रही है कि वो देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के प्रति प्रतिबद्ध है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने वाला दूसरा राज्य
बता दें कि उत्तराखंड चुनाव से ठीक पहले पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि यदि राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तो यूनिफॉर्म सिविल कोड लाएंगे। तब लोगों को लगा था कि ये जुमला है लेकिन कैबिनेट की पहली बैठक में ही मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक सहिंता कानून का मसौदा तैयार करने के लिए कमिटी का गठन कर दिया।
इस बीच यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी बयान दिया कि यूपी जैसे राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड की सख्त जरूरत है। ऐसे में आम लोगो के लिए समझना जरूरी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है। इसकी जरूरत क्या है और संवैधानिक प्रावधान क्या हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब क्या है!
सामान्य शब्दों में समझें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है देश अथवा राज्य में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म, जाति या संपद्राय का हो, देश का कानून सभी लोगों पर समान रूप से लागू होगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के मामले में भी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होने की बात कही गई है। इसमें धर्म के आधार पर किसी व्यक्ति को विशेष रियायत नहीं मिलती। अब तक धर्म के आधार पर रियायत मिलती रही है।
संविधान में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा है
दरअसल, देश के संविधान में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा है। कहने को तो सभी धर्मों पर समान कानून लागू होता है लेकिन धर्म के मामले में कई रियायत भी मिली है। मौजूदा वक्त में मुस्लिम, ईसाई और पारसी के लिए अलग पर्सनल लॉ है। वहीं हिंदू सिविल कोड के हत हिंदू, सिख, जैन तथा बौद्धों के मामलों का निपटारा किया जाता है। सरकार का तर्क है कि इसकी वजह से कई बार अन्याय होता है। विशेष रूप से तीन तलाक के मामले में ऐसा होता आया है।
मुस्लिम महिलाओं के साथ जुल्म हुआ है। केंद्र सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तीन तलाक बिल ला चुकी है। अब चर्चा समान नागरिक सहिंता की है।