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पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने डीजीपी को लिखा पत्र, कहा-मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी की रहस्यमय मौत की जांच हो

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द फॉलोअप टीम, पटना
अपने कामों को लेकर सुर्खियों में रहे पूर्व चर्चित आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने बिहार के नवनियुक्त मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी की रहस्यमय मौत की जांच कराने की मांग की है। उनकी इस मांग से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गई है। अमिताभ दास ने मंगलवार को बिहार के डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि उन्हें सूचना है कि मेवालाल चौधरी की पत्नी की मौत के पीछे गहरा राजनीतिक षडयंत्र है। संभवतः मौत के तार नियुक्ति घोटाले से भी जुड़े हैं।

एसआईटी गठित कर मंत्री से पूछताछ की मांग
उन्होंने पत्र में लिखा है कि बिहार सरकार के मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी श्रीमती नीता चौधरी की 27 मई 2019 को अपने आवास पर बुरी तरह से जल गई थी। 2 जून 2019 को उनकी मौत हो गई। मेवालाल चौधरी पर भागलपुर के सबौर थाने में नियुक्ति घोटाले का मामला दर्ज किया गया था। इसलिए उनकी पत्नी की हत्या की जांच कराने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार पुलिस सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर तत्परता दिखा सकती है, फिर इस मामले की जांच में देर क्यों हो रही है? उन्होंने नीता चौधरी की रहस्यमय मौत की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर मंत्री से गहन पूछताछ करने की मांग की है। 

नीतीश के खास रहे हैं मेवालाल 
नीतीश कुमार की नई सरकार में भी मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाया गया है। चौधरी ने सोमवार को सीएम के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली है। मेवालाल चौधरी को नीतीश सरकार में जदयू कोटे से कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है। यहां याद रहे ये वही मेवालाल चौधरी हैं, जिनके खिलाफ कभी भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई थी, इसके बाद नीतीश कुमार ने इनको पार्टी से निकाल दिया था। मेवालाल नीतीश कुमार के खास रहे हैं। 

नियुक्ति घोटाले में मेवालाल हटाए गए थे 
उल्लेखनीय है कि भागलपुर के सबौर स्थित कृषि कॉलेज को नीतीश सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया, तो चौधरी को यहां का पहला कुलपति बनाया गया था। मेवालाल चौधरी रिटायर हुए तो मुख्यमंत्री ने 2015 में उनको जदयू से टिकट दे दिया और मेवालाल तारापुर विधानसभा से विधायक निर्वाचित हो गये। मेवालाल जब कुलपति बने तो इनकी पत्नी नीता चौधरी जदयू से विधायक बनीं। यह 2010 की बात है, लेकिन इनपर बहाली में गड़बड़ी और राजभवन से प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विपक्षी तेवर इनके खिलाफ कड़े होने की वजह से नीतीश कुमार ने चौधरी को जदयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब 2020 के चुनाव में फिर से विधायक निर्वाचित होने पर मेवालाल की किस्मत का दरवाजा खुल गया है।

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सुशील मोदी ने मेवालाल पर लगाया था आरोप
सबौर कृषि विश्वविद्यालय में 161 कनीय शिक्षक और वैज्ञानिकों की बहाली में धांधली का जब आरोप लगा था, तो विपक्ष में रहते सुशील कुमार मोदी ने सदन में इस मामले को उठाया था। उनकी मांग पर ही राजभवन ने रिटायर जस्टिस महफूज आलम से गड़बड़ियों की जांच कराई गई थी। इसके बाद जज ने 63 पन्ने की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि की थी। इसी आधार पर राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश पर थाना सबौर में एफआईआर दर्ज की थी। बाद में पांच गवाहों के बयान दफा 164 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए थे। ये बहाली जुलाई 2011 में प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से बाकायदा इंटरव्यू प्रक्रिया के तहत की गई थी। इनके खिलाफ इस मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। इनकी अग्रिम जमानत की अर्जी एडीजे राकेश मालवीय ने रद्द कर दी थी।
अब देखना है कि अमिताभ दास के पत्र का सरकार पर क्या असर होता है। वहीं विपक्ष इस मामले को लेकर सदन में क्या रुख अपनाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।