logo

सरकार की नींद अगर हमारी मौत से खुलती है, तो हमें मौत मंजूर है : जिला पुलिस अभ्यर्थी

बीमार पड़े धरना पर बैठे जिला पुलिस के अभ्यर्थी नहीं जाना जाह रहे हैं अस्पताल। क्योंकि उन्हें डर है कि बीमारों को अस्पताल लेकर जाते ही उनमें से किसी एक को कोरोना पॉजिटिव बता दिया जाएगा और उनका आंदोलन खत्म हो जाएगा।  

विवेक आर्यन, रांची
14 दिनों से धरनारत जिला पुलिस के अभ्यर्थी 4 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। चौथे दिन पांच लोगों की तबीयत बिगड़ गई। तीन लोग गंभीर हैं, उनकी बीपी कम है, बुखार है, शरीर में पानी की कमी हो गई है और अब वे बोल पाने की स्थिति में भी नहीं हैं। अभ्यर्थियों
का हाल जानने के लिए सदर साओ के साथ सदर अस्पताल के डॉक्टर भी पहुंचे हैं। प्रशासन बीमार छात्रों को अस्पताल ले जाना चाह रही है। लेकिन छात्र धरना स्थल छोड़ कर जाने को तैयार नहीं है। द फॉलोअप से बात करते हुए बीमार पड़े अभ्यर्थियों ने
छात्रों को डर है कि बीमारों को अस्पताल लेकर जाते ही उनमें से किसी एक को कोरोना पॉजिटिव बता दिया जाएगा। इसके बाद पूरा आंदोलन ही खत्म हो जाएगा। इधर डॉक्टर शिवपूजन मुंडा बीमार लोगों की हालत देख चिंतित हैं। सदर सीओ प्रकाश कुमार भी बच्चों को अस्पताल ला जाना चाह रहे हैं, लेकिन छात्र अपनी बात पर अड़े हैं।




सरकार का एक भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा अभ्यर्थियों के पास
छात्रों का हाल जानने और उनपर नजर रखने को चार-चार मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं। एक स्वास्थ्य टीम भी गठित की गई है, लेकिन सरकार की ओर से एक भी मंत्री, एक भी प्रतिनिधि इन छात्रों का हाल जानने या इन्हें आश्वासन देने नहीं पहुंचा। अभ्यर्थियों ने कई बार विभिन्न मंत्रियों से मुलाकात की, अपनी समस्या बताई। लेकिन सत्ता के प्रभाव से सभी संवेदनहीन बने बैठे हैं। और यह सब वह सरकार कर रही है जो युवाओं को नौकरी देने के वादे के साथ आई थी।

क्या है पूरा मामला
जिला पुलिस में बहाली के लिए 2015 में रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार ने विज्ञापन निकाला था। राज्य के सभी जिलों से हजारों लोगों ने फॉर्म भरा। परीक्षा हुई, मेडिकल के बाद छात्रों का सेलेक्शन भी हुआ। इसके बाद सरकार ने जिलावार मेरिट लिस्ट लिकालकर कुछ छात्रों को भर्ती किया। लेकिन विज्ञापन में एक समेकित सूची का भी जिक्र था, जो जिलावार सूची के बाद आना था। वह सूची अभी तक नहीं आई है। जो छात्र समेकित सूची के इंतजार में बैठे हैं, उनका डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन भी हो चुका है। अब वे सरकार से नौकरी की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार बेअसर है। 



उम्र सीमा पार कर चुके हैं अभ्यर्थी
नौकरी की उम्मीद में बैठे सफल अभ्यर्थियों में से ज्यादातर लोग फिर से इस परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं। परीक्षा में भाग लेने के लिए निर्धारित आयु सीमा को ये लोग पार कर चुके हैं। पांच साल पहले इनकी उम्र नौकरी योग्य थी, अब नहीं है। ऐसे में इनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। इनमें से कई लोग हैं जिनकी शादी हो चुकी है, बच्चे हैं। बिना नौकरी के इनकी सभी उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं। परिवार अलग चिंता में हैं। 

भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने की मुलाकात
रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने जिला पुलिस अभ्यर्थियों से मुलाकात की। उन्होंने छात्रों का हाल-चाल जाना। उनकी कई बातों पर छात्रों ने ताली भी बजाई। बता दें कि यह विज्ञापन भाजपा के शासन काल में ही निकाला गया था, जिसके बाद चार सालों तक भाजपा की सरकार रही। ये छात्र दोनों सरकार के सताए हैं, जिसपर पार्टियां राजनीति कर रही हैं। हालांकि इसी विज्ञापन से जिलावार सूची के आधार पर भाजपा की सरकार ने नौकरियां दी थी।