द फॉलोअप टीम, रांची
हम जब भी सड़क पर किसी घायल को देखते हैं तो चाहकर भी उसकी मदद नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम सब के अंदर कहीं ना नहीं डर रहता है कि यदि घायल को अस्पताल ले कर गए तो पुलिस हमसे पूछताछ करेगी और हम बेकार में ही पुलिस के मामले में पड़ जाएंगे। यही सोचकर लोग घटनास्थल से गुजर जाते हैं। कोई भी घायलों की मदद करने और उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए आगे नहीं आते। लेकिन अब डरने की जरुरत नहीं है क्योंकि दिल्ली के बाद अब झारखण्ड में भी सरकार घायलों की मदद करने वालो को देगी इनाम।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ विभाग से माँगा आशय का प्रस्ताव
मुख्यमंत्री का ऐसा मानना है कि सरकार के इस कोशिश से लोग अब घायलों की बेझिझक मदद कर पाएंगे। मुख्यमंत्री हेमंत साेरेन ने स्वास्थ्य विभाग से 31 जनवरी तक इस आशय का प्रस्ताव मांगा है। घायलों को समय पर मदद मिलेगी तो लोगों की जान बचाई जा सकेगी। इस याेजना के तहत घायलाें के इलाज का पूरा खर्च भी राज्य सरकार उठाएगी। सुप्रीम काेर्ट और केंद्रीय परिवहन मंत्रालय का आदेश है कि घायलाें काे अस्पताल पहुंचाने वालाें से काेई पूछताछ नहीं की जाएगी। उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया जाएगा और अस्पताल से बिना झंझट उन्हें जाने की अनुमति दी जाएगी। यह आदेश झारखंड में भी लागू है, लेकिन अब सरकार उन्हें पुरस्कार देने की भी याेजना बना रही है।
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सबसे पहले पुरस्कार योजना की शुरुआत दिल्ली में हुई थी
हर साल राज्य लगभग 3200 लोगो की जान सड़क दुर्घटना में चली जाती है और 7000 लोग घायल हो जाते हैं। ऐसे में दिल्ली में घायलों की मदद के लिए सबसे पहले कदम उठाया गया था। लेकिन अब यह मदद योजना झारखण्ड में भी लागू होगी।