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निजी स्‍कूलों की मनमानी पर लगे रोक, आजसू ने ज्ञापन सौंप मुख्‍यमंत्री से किया आग्रह

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द  फॉलोअप टीम, रांची:
राज्य में निजी विद्यालयों द्वारा लगातार अभिभावकों पर बढ़ाये जा रहे दबाव को राज्य सरकार की नाकामी के रूप में देखा जाना चाहिए। निजी विद्यालयों पर सरकार का नियंत्रण ना होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उक्त बातें आजसू के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सिंह ने कही हैं। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को निजी विद्यालयों के मनमानी के बीच पढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो गया है, अभिभावक निजी विद्यालयों के शिक्षण शुल्क उगाही के तरीके और शिक्षण शुल्क के लगातार वृद्धि से त्रस्त हो चुके हैं। इसी विषय को लेकर आजसू ने आज मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौप कर दखल देने की मांग की है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आजसू ने अवगत कराया है कि कोविड काल मे सरकार के आदेश से विभिन्न निजी क्षेत्र के रोजगार बाधित हुए हैं, अभिभावकों की आय बड़े पैमाने पर घटी है, चिकित्सा क्षेत्र की चुनौतियां हर परिवार पर बढ़ी हैं। ऐसे में सरकार को आगे आकर निजी विद्यालयों के भारी भरकम शिक्षण शुल्क के बोझ से राहत दिलाने को आगे आना चाहिए। अगर जल्द ही इसपर सरकार ने त्वरित करवाई नही की तो राज्य में साक्षरता दर घटेगी इसका मूल कारण मजबूरीवश अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों का विद्यालय जहर पर रोक लगाना या निजी विद्यालयों से अपने बच्चों को निकाल कर सरकारी विद्यालयों की ओर रुख करना होगा।

स्‍कूल कर रहे मनमानी शुल्‍क वसूली
आजसू के राँची विश्वविद्यालय वरीय उपाध्यक्ष राहुल तिवारी ने कहा निजी विद्यालयों ने स्थिति ऐसी बना दी है कि बिना फीस न दे पाने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास, परीक्षा, रिजल्ट आदि से तो वंचित रखा ही जा रहा है वहीं स्कूल से बच्चे को निकाल देने की धमकी तक अभिभावकों को दे रहें हैं। राज्य की वर्तमान स्थिति यह है कि विभिन्न आदेशों के बावजूद निजी विद्यालय प्रत्येक स्तर में 10 प्रतिशत शिक्षण शुल्क बढ़ोतरी कर रहे हैं। सरकार ने बीते वर्ष सभी निजी विद्यालयों को सिर्फ शिक्षण शुल्क लेने का आदेश जारी किया था, मगर यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई निजी विद्यालय सरकार के उस आदेश को धता बताते हुए एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्यूरिटी चार्ज, मेडिकल चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज आदि भी ले रहे हैं। जबकि राज्य सरकार ने कोरोना की पहली लहर के दौरान सत्र 2020-21 के लिए फीस वृद्धि पर रोक लगा दी थी। ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्य रूप से प्रदेश अध्यक्ष गौतम सिंह, सचिव ओम वर्मा, अजित कुमार, राहुल तिवारी, अभिषेक शुक्ला, जमाल गद्दी, दीपक दुबे, शाहिद खान, परवेज गद्दी आदि शामिल थे।