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बंधु तिर्की ने सदन में उठाई 'ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी' की मांग, जानें! पिछली बार कब हुआ था गठन

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द फॉलोअप टीम, रांची :
झारखंड विधानसभा में मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने टीएसी (ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी) के गठन की मांग की। बंधु तिर्की ने कहा कि टीएसी(जनजातीय परामर्शदात्री समिति) का गठन नहीं करने से जनजातीय लोगों की बात सही मंच पर नहीं उठ पाती है। बंधु तिर्की ने कहा कि सरकार से मांग करते हैं कि इसका गठन जल्द किया जाए। बता दें कि झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी के जरिये आदिवासियों से संबंधित तमाम मुद्दों की चर्चा की जाती है। उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है। 

सरकार बदलते ही भंग हो जाती है टीएसी
बता दें कि ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी सरकार बदलने के साथ ही स्वत भंग हो जाती है। पूर्ववर्ती रघुबर सरकार के समय गठित ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के साथ ही भंग हो गयी थी। तब से राज्य में ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी का गठन नहीं किया जा सका है। सितंबर 2020 में एक बार ये मामला सुलझता दिखा था। तब राज्य में ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी के पुनर्गठन की बात कही गयी थी। 
कहा गया था कि हेमंत सोरेन इसके अध्यक्ष होंगे। उपाध्यक्ष सहित 20 मेंबर इस कमिटी में शामिल होंगे जिसमें से 17 आदिवासी विधायक और तीन जनजातीय मामलों के नामित सदस्य होंगे। हालांकि, इतना वक्त बीत गया लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा सका। बजट सत्र से पहले हेमंत कैबिनेट की बैठक में भी ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी के गठन को मंजूरी मिली लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। 

पिछली सरकार में रघुबर दास थे अध्यक्ष
जानकारी के मुताबिक राज्य में आदिवासी मुद्दों को मंच देने और उनका समाधान करने के लिए ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी का गठन किया जाता है। इस कमिटी के जरिये आदिवासियों की मांग, उनके मुद्दे और उनकी समस्याओं को पटल पर रखा जाता है। आदिवासियों के बारे में कोई भी योजना बनाने से पहले कमिटी की राय ली जाती है। राज्य के मुखिया यानी मुख्यमंत्री इसकी अध्यक्षता करते हैं। रघुबर दास अपने कार्यकाल में इसके अध्यक्ष थे, तब विपक्षी नेताओं ने उनके गैर आदिवासी होने पर सवाल उठाया था।