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भोजपुरी और मगही को भी क्षेत्रीय भाषा के रूप में किया जाए शामिल : केएन त्रिपाठी

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द फॉलोअप टीम, रांची:

झारखंड में इन दिनों नियोजन नीति और स्‍थानीयता नीति के साथ भाषा का सवाल भी गर्म है। सरकार में शामिल कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता व पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने मांग की है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं के लिए दूसरे पेपर में भोजपुरी और मगही भाषा को भी क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किया जाए। केएन त्रिपाठी ने कहां की गत 5 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में कुल 12 क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं को चिन्हित कर स्वीकृति दी गई है। चिन्हित क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाएं पलामू प्रमंडल में व्यापक तौर पर प्रयोग में नहीं लाई जाती जिसके कारण पलामू प्रमंडल व कुछ अन्य जिलों के छात्रों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में समान अवसर नहीं मिल पाएगा। पलामू प्रमंडल में जनसमान्य की भाषा मगही एवं भोजपुरी है, चूंकि पलामू प्रमंडल के अलावा चतरा हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, कोडरमा, गिरिडीह, तथा गोड्डा जिलों में भी मगही एवं भोजपुरी भाषा काफी प्रचलन में है। इसलिए इन जिलों के परीक्षार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुये मगही एवं भोजपुरी को द्वितीय पत्र में क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करने कि दिशा में जरूरी कदम उठायें जिससे मेधा निर्धारण में सभी जिले के छात्रों को समान अवसर मिल सके।

बता दें कि पूर्व में भी यूपीए गठबंधन की सरकार ने मगही एवं भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा के रूप में चिन्हित कर शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन कराया था। जिससे कि पलामू के छात्रों को क्षेत्रीय भाषा के रूप में अपनी भाषा चयन का अवसर मिल पाया था। मगही एवं भोजपुरी को द्वितीय पत्र की परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल की जाए जिससे मेधा निर्धारण में सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके ।