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साबरमती का संत-23: भारत के इकलौते नेता जिनकी पाकिस्‍तान समेत 84 देशों में मूर्तियां

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(‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’ - आइंस्टीन ने कहा था। आखिर क्षीण काया के उस व्यक्‍ति में ऐसा क्या था, कि जिसके अहिंसक आंदोलन से समूची दुनिया पर राज करने वाले अंग्रेज घबराकर भारत छोड़ गए। शायद ही विश्व का कोई देश होगा, जहां उस शख्सियत की चर्चा न होती हो। बात मोहन दास कर्मचंद गांधी की ही है। जिन्हें संसार महात्मा के लक़ब से याद करता है। द फॉलोअप के पाठक अब सिलसिलेवार गांधी और उनके विचारों से रूबरू हो रहे हैं। आज पेश है,  23वीं किस्त -संपादक। )

 

कृष्ण कांत, दिल्‍ली:

महात्मा गांधी अमेरिका कभी नहीं गए लेकिन भारत के बाद उनकी सबसे ज्यादा मूर्तियां, स्मारक और संस्थायें अमेरिका में ही हैं। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में गांधी जी की दो दर्जन से ज्यादा से प्रतिमाएं और एक दर्जन से ज्यादा सोसाइटी और संगठन हैं। महात्मा गांधी भारत के अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिनकी भारत सहित 84 देशों में मूर्तियां लगी हैं। दुश्मन देश पाकिस्तान, कम्युनिस्ट देश चीन से लेकर छोटे-मोटे और बड़े-बड़े देशों तक में बापू की मूर्तियां स्थापित हैं। उनके जन्मदिवस पर पूरी दुनिया अहिंसा दिवस मनाती है। महात्मा गांधी की हत्या के 21 साल बाद ब्रिटेन ने उनके नाम से डाक टिकट जारी किया। इसी ब्रिटेन से भारत ने गांधी की अगुआई में आज़ादी हासिल की थी। 

अलग-अलग देशों में कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं। भारत में 53 मुख्य मार्ग गांधी जी के नाम पर हैं। गांधी जी द्वारा शुरु किया गया सिविल राइट्स आंदोलन कुल 4 महाद्वीपों और 12 देशों तक पहुंचा था। अपने वक़्त के महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि "कुछ सालों बाद लोग इस बात पर यकीन नहीं करेंगे कि महात्मा गांधी जैसे सख्श कभी भी इस धरती पर हाड़ मांस का शरीर लेकर चलता था।" अपने पूरे जीवन में महात्मा गांधी ने कोई राजनीति पद नहीं लिया। इसीलिए आज़ादी की लड़ाई में उनके नेतृत्व पर कभी कोई सवाल नहीं उठा पाया, क्योंकि उनको न 8000 करोड़ का विमान चाहिए था, न ही 20000 करोड़ का बंगला। नेल्सन मंडेला से लेकर मार्टिन लूथर किंग तक गांधी के मुरीद थे, बराक ओबामा जैसे तमाम वर्ल्ड लीडर आज भी गांधी के मुरीद हैं। 

 

अफ्रीका जैसे कई देशों ने गांधी के आदर्शों और रास्तों से आंदोलन चलाया और आज़ादी हासिल की। यहां तक कि दुनिया के कई बदनाम-बर्बाद देश भी गांधी की इज्जत करते हैं। कई निकृष्ट नेता भी गांधी का अपमान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। इस पूरे ब्रम्हांड में एक भक्ताणु ही ऐसे वायरस हैं जिनको गांधी से बड़ी समस्या है। समस्या भी ऐसी-ऐसी कि आप हैरान रह जाएंगे। भक्त की समस्या ये भी है कि अगर वह गांधी को महान मान ले तो।उसके लात खाने की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं जो उसे बर्दाश्त नहीं है। संघियों और संघ के समर्थक चमनबहारों की कुंठा क्या है, ये समझ से परे है। जिस दिन मनुष्य के अंदर नफरत का इलाज हो जाएगा, उस दिन संघियों की कुंठा का भी इलाज संभव हो सकेगा। तब तक ये मनुष्यरूपी ये नफरती जंतु गांधी के प्रति नफरत लिए जीते रहेंगे। इनसे सहानुभूति रखिए और महात्मा बापू की जय बोलते रहिए। 

 

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(युवा पत्रकार जागरण, भास्‍कर, वायर और तहलका में काम कर चुके हैं। संंप्रति दिल्‍ली में रहकर स्‍वतंत्र लेखन)

 

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।