द फॉलोअप टीम, फिरोजाबाद:
फिरोजाबाद जिले के एक सरकारी टीचर की शादी होनी थी। मास्टर साहब ने बड़े सपने देखे थे। इतनी मेहनत से पढ़-लिखकर बेचारे मास्टर बने थे तो बड़े सपने भी ना देखें ये तो अच्छी बात नहीं है। यूपी जैसे बड़े राज्य में सरकारी मास्टर बनना कोई हंसी खेल थोड़े ही है। कुछ लोग तो सरकारी नौकरी में आते ही इसलिए है ताकि वो दहेज़ में ज्यादा डिमांड कर सकें। वो अपनी मेहनत के अनुपात में डिमांड करते है। हां तो हम बात कर रहे थे मास्टर साहब की। दरअसल मास्टर साहब की शादी तय हो गई थी। घर वालों ने देख दाख के बढ़िया से कीमत लगा कर मास्टर साहब को बेच दिया लेकिन मास्टर साहब अपनी कीमत से खुश नहीं थे। उनको और ज्यादा चाहिए था।
बुलेट नहीं तो शादी नहीं का फऱमान
दुल्हन डाइटिंग साईटिंग में लगी थी। दुल्हन रानी अपने दूल्हे राजा के लिए सपने सजा रही थी कि तभी एक दिन आ धमके मास्टर साहब। मास्साब तो कुछ और चाहिए था। शादी के चार दिन पहले बुलेट बाइक मांगने पहुंचे थे। लड़की वाले परेशान होकर बोले पहले ही इतना खर्चा हो गया है। उन लोगो ने हाथ जोड़ लिए लेकिन मास्साब ठहरे सरकारी नौकरी वाले। उन्होंने तो साफ़ कह दिया बुलेट नहीं तो शादी नहीं। मास्साब को खूब मनाया गया लेकिन उनके तो तेवर ही कुछ और थे। सरकारी नौकरी होने की वजह से दूर दूर तक भौकाल टाइट था। फिर क्या हुआ जानिए।
उल्टा पड़ गया दूल्हे राजा का दांव
दूल्हे मियां तो सोचे होंगे कि उनके जैसा दूल्हा फिर इनको मिलेगा भला कहां लेकिन यह दांव उनको उल्टा पड़ गया। लड़की वाले पहुंच गए थाने और वहीं से बुलेट बुक करा दिया। पुलिस दूल्हे राजा को बुलेट देने पहुंची तो दूल्हे मियां पूरे परिवार के साथ फरार थे। अब बताइये जब बुलेट मांगे थे तो पुलिस देने पहुंची फिर भागे काहे ले ही लेते कम से कम। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस देश में दहेज़ लेना अभिशाप है वहां एक टीचर दहेज़ की मांग कैसे कर सकता है। खासकर तब जब वह हजारों बच्चों को शिक्षा देने वाला हो। एक दहेज़ का लालची शिक्षक बच्चों को भला क्या शिक्षा दे सकता है।