द फॉलोअप टीम, रांची:
जेपीएससी कट ऑफ डेट मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस एमआर शाह एवं जस्टिस ए एस बोपन्ना की खंडपीठ में हुई। प्रार्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि 5 वर्षो से परीक्षा नहीं हुई है तो क्या ऐसी परिस्थितियों के प्रतिवादी एक बार के लिये उम्र सीमा में छूट देने के लिए तैयार हैं? अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता रोहित राठी और वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज और अधिवक्ता कुमारी सुगन्धा ने अपना पक्ष रखा।
अभ्यार्थियों को बहुत उम्मीदें हैं
अधिवक्ता अजीत कुमार ने सुनवाई के दौरान कहा कि 21 साल में JPSC ने सिर्फ 6 परीक्षाएं आयोजित की है। ऐसे में हजारों कैंडिडेट है जो परीक्षा से तैयारी कर रहे और उनको काफी उम्मीदें हैं। इस बात पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि यह परेशानी तो है लेकिन नीति निर्धारण सरकार का अधिकार है।
कट ऑफ डेट घटने की मांग
25 अगस्त को झारखंड हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी। सुनवाई चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डॉ रविरंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में हुई थी। इस दौरान प्रार्थियों की याचिका ख़ारिज कर दी गई थी। प्रार्थियों की याचिका में कहा गया है कि 2020 में जो संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन निकला था उसमें उम्र का कट ऑफ डेट 2011 था लेकिन वह विज्ञापन वापस ले लिया गया। जब एक साल बाद संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन निकाला गया है, तो उसमें कट ऑफ डेट एक अगस्त 2016 है। इसलिए प्रार्थियों ने इसे 2011 करने की मांग की है।