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झारखंड में सिर्फ 61.2% आबादी में बनी है एंटीबॉडी, तीसरी लहर में  32% आबादी को खतरा  

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द फॉलोअप टीम, रांची:

कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी में झारखंड सरकार जुट गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से एक रिपोर्ट भी जारी की गई है। सीरो सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार राज्य की 32% आबादी को अभी भी खतरा है। सिर्फ 61.2% आबादी में कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है। विशेषज्ञों के अनुसार झारखंड को  तीसरी लहर का खतरा ज्यादा है। 

एक तिहाई आबादी में अभी तक एंटीबॉडी नहीं
एक तिहाई आबादी में अभी तक एंटीबॉडी नहीं है। जबकि पड़ोसी राज्यों ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है। पाकुड़, लातेहार व सिमडेगा में सिरो सर्वे किया गया था।  यहां सामान्य लोगों की तुलना में हेल्थ वर्कर्स में ज्यादा एंटीबॉडी पाई गई है। पाकुड़ में सबसे कम एंटीबॉडी मिली। पाकुड़ में सामान्य लोगों में 44%हेल्थ वर्कर्स में 77%, लातेहार में सामान्य लोगों में 56.6% , हेल्थवर्कर्स में 83.3% जबकि सिमडेगा में सामान्य लोगों में 65.3% और हेल्थ वर्कर्स में 81% एंटीबॉडी पाई गई है।

इन राज्यों में मिली सबसे ज्यादा एंटीबॉडी
अगर रिपोर्ट के अनुसार देखा जाए तो इन राज्यों में फीसदी के हिसाब से इतने एंटीबॉडी मिली है। मध्य प्रदेश में 79, राजस्थान में 76.2, बिहार में 75.9, गुजरात में 75.3, छत्तीसगढ़ में 74.6, उत्तराखण्ड में 73.1, उत्तर प्रदेश में 71 और आंध्र प्रदेश में 70.2,कर्नाटक में 69.8, तमिलनाडु में 69.2, उड़ीसा 68.1, पंजाब 66.5, तेलंगाना 63.1, जम्मू-कश्मीर 63, हिमाचल 62, झारखण्ड में 61.2, पश्चिम बंगाल में 60.9, हरियाणा में 60.1, महाराष्ट्र में 58, असम में 50.3 और केरल में 44.4 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली हैं।

एंटीबॉडी से कैसे होगा कोरोना से बचाव
एंटीबॉडी शरीर का वो तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में वायरस को बेअसर करने के लिए पैदा करता है। संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई बार एक हफ्ते तक का वक्त लग सकता है, इसलिए अगर इससे पहले एंटीबॉडी टेस्ट किए जाएं तो सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसके अलावा इस टेस्ट से कोरोना वायरस की मौजूदगी की सीधी जानकारी भी नहीं मिल पाती है इसलिए अगर मरीज का एंटी बॉडी टेस्ट निगेटिव आता है तो भी मरीज का RT-PCR टेस्ट करवाया जाता है।