द फॉलोअप टीम, डेस्क:
नये साल पर भारतीय सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान वैली में तिरंगा लहराया। भारतीय सेना की तरफ से तिरंगे के साथ हथियारबंद भारतीय सैनिकों की तस्वीर भी जारी की है। सोशल मीडिया में वायरल हो रही इन तस्वीरों में दिख रहा है कि बर्फीली चोटियों में तिरंगे के साथ भारतीय सेना के जवान मुस्कुराते हुए पोज दे रहे हैं।
पीएलए ने फहराया था चीनी झंडा!
गौरतलब है कि ये तस्वीर ऐसे वक्त में जारी की गई है कि जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि चीन की पीएलए सैनिकों ने गलवान वैली के भारतीय हिस्से में चीनी झंडा फहराया है। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग-त्सो झील की एक सैटेलाइट तस्वीर जारी की गई है। इस तस्वीर में दिखता है कि चीन अपनी सीमाक्षेत्र में दर्रों पर पुल की निर्माण करवा रहा है। कहा जा रहा है कि इस पुल की मदद से चीन भारतीय सीमा से महज 30 से 40 किमी ही दूर रह जायेगा। पहले चीनी सैनिकों को ये दूरी तय करने में 200 किमी चलना पड़ता था। कहा जा रहा है कि पुल बनकर तैयार है। इसे स्थापित किया जा रहा है।
अरुणांचल प्रदेश के कुछ स्थानों का नाम बदला
हालिया कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन की सरकार ने अपने नये जारी मानचित्र में अरुणांचल प्रदेश को अपने हिस्से के तौर पर प्रकाशित किया है। इसमें अरुणांचल प्रदेश के कुल 15 स्थानों का नाम बदला गया है। भारत सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीन ने अरुणांचल प्रदेश के कुछ स्थानों को चीनी भाषा में रूपांतरित करने का प्रयास किया है लेकिन अरुणांचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। चीन की किसी भी नापाक हरकत से ये तथ्य नहीं बदला जा सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन की तरफ से ऐसी कोशिश अप्रैल 2017 में भी की जा चुकी है।
भारत और चीन के बीच इन स्थानों पर है विवाद
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद है। पैंगोंग-त्सो, गलवान वैली, चिकन-नेक, डोकलाम और अरुणांचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को लेकर भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद है। जून 2020 में गलवान वैली हिंसा के बाद से दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीति स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन समाधान नहीं निकला।
विवादित क्षेत्रों में भारत और चीन, दोनों ही पक्ष के सैनिक भारी संख्या में तैनात हैं। भारी मात्रा में हथियारों की तैनाती भी की गई है। गलवान वैली हिंसा में भारत के मेजर रैंक के अधिकारी सहित 20 जवान शहीद हो गये थे वहीं चीनी पक्ष को भी काफी नुकसान पहुंचा था। हालांकि चीन ने कभी आधिकारिक रूप से इसे स्वीकार नहीं किया।