logo

मुख्यमंत्री के गृह जिले में झरना-डोभा का पानी पीते हैं ग्रामीण, सड़क ऐसी कि एंबुलेंस भी नहीं जाता

16351news.jpg

मोहित कुमार, दुमका: 

दुमका ज़िले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के सीमानीजोड़ पंचायत के अन्तर्गत कर्माचुआ गांव में आज भी लोग  मुलभुत सुविधाओं से वंचित हैं। गांव शिकारीपाड़ा प्रखंड से महज करीब 10 किमी की दूरी पर है। कर्माचुआ एक आदिवासी बहुल गांव है जहां कुल 40 परिवार रहते हैं। दुमका-रामपुरहाट मुख्य मार्ग के रामगढ़ मोड़ से करीब 4 किमी दूर स्थित इस गांव में बड़े-बड़े बोल्डर बिछे हुए हैं। कई जगह पुलिया बनी है। इस गांव में पहुचने का दूसरा रास्ता 5 किमी है जो नोपहाड़ में निकलता है। ये रास्ता भी बुरी तरह जर्जर है।

गांव में पक्की सड़क तक नहीं है
सड़क में लगी गिट्टी व छोटे-छोटे पत्थर निकल कर बिखर गये हैं। सड़क मार्ग से कटा रहने के कारण ग्रामीणों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण नर्स मुर्मू का यह कहना है कि सड़क खराब होने के कारण गर्भवती और मरीजों को अपस्ताल ले जाना भी बहुत कठिन है। ग्रामीणों का कहना है कि ममता वाहन और एंबुलेंस गांव तक नहीं आता है। गर्भवती और बीमार मरीजों को खाट में लिटाकर नीचे ले जाया जाता है। कभी-कभी गर्भवती और बीमार मरीजों को खाट में लिटाकर नीचे ले जाते समय लोग उपलब्ध नहीं रहते हैं इस स्थिति में जान का जोखिम बना रहता है। बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

 

मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल
सड़क ख़राब होने के कारण रोजमर्रा की वस्तुओं को बाजार और हटिया से लाने में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। गांव पीसीसी नहीं है। बोल्डर बिछे हुए है।  इस गांव में पेयजल की भी बहुत समस्या है। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में कुल 4 चापाकल हैं। एक अर्धनिर्मित जलमीनार है। एक चापाकल में सोलर टंकी भी लगी हुई है लेकिन चारों चापाकल और सोलर टंकी ख़राब है। अर्धनिर्मित जल मीनार 1 वर्ष से बेकार पड़ा हुआ है। अर्धनिर्मित जल मीनार के बगल एक अन्य चापाकल है जिसका हेड नहीं है और तीन वर्ष से ख़राब है। मदन देहरी के घर के सामने का चापाकल करीब 10 वर्ष से ख़राब है। बुधन मुर्मू के घर के सामने का चापाकल भी करीब 10 वर्षो से ख़राब है। इसका भी हेड नहीं है। जोसेफ मुर्मू के घर के सामने का चापाकल करीब तीन वर्षो से ख़राब है।

चापाकल और सोलर टंकी भी खराब है
गौरतलब है कि जब से इस चापाकल में सोलर टंकी लगाई गई है तब से चापाकल भी ख़राब है और सोलर टंकी भी। ग्रामीणों का कहना है कि पीने के पानी और अन्य काम के लिय डडी, झरना और डोभा आदि से पानी लाया जाता है। ये करीब 1 किमी दूर अवस्थित है। ग्रामीणों का कहना है कि चापाकल, सोलर टंकी और जल मीनार काम नहीं करने के कारण ग्रामीणों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चापाकल का हेड/हैंडल नहीं होने पर ग्रामीण कहते हैं कि मिस्त्री मरम्मति के नाम लेकर गये है लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी पुनः नहीं लगाया गया है।

1 किमी दूर से पानी लाने जाते हैं ग्रामीण
गांव के मोसे हांसदा और एक महिला का कहना है कि जब घर में मेहमान आते हैं तो उनके लिए करीब 1 किमी दूर  से पानी लाने जाते हैं। उन्हें लगता है कि मेहमान के डर से घर वाले भाग गए हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पानी के अभाव के कारण घर बनाने में भी बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जनप्रतिनिधि भी इन समस्याओं को देखने नहीं आते हैं। चुनाव के समय सिर्फ वादा करते है लेकिन समाधान नहीं करते है। ग्रामीणों की जन प्रतिनिधियों, सरकार और प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द सड़क और पानी समस्या को दूर किया जाय। इस मौके पर जोबा बेसरा, बुधन मुर्मू, होपना सोरेन, चुड़का हांसदा, नर्स मुर्मू, लीलमुनि सोरेन, ताला सोरेन, मोसे हांसदा, डूलिन टुडू, लालोतो टुडू आदि उपस्थित थे।