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ललन सिंह या उपेंद्र कुशवाहा, कौन होंगे JDU के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष! किसका पलड़ा भारी

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द फॉलोअप टीम, पटना: 

आज दोपहर बाद तकरीबन 4 बजे से दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है। बैठक की अध्यक्षता वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह करेंगे। कहा जा रहा है कि इसमें नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी हो सकता है क्योंकि वर्तमान राष्ट्रीय अधयक्ष आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनाए गए हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी उसी को दी जाएगी जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खास होगा। जो जनता दल यूनाइटेड को उसका पुराना गौरव वापस दिला सके। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी होना है
मिली जानकारी के मुताबिक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर जनता दल यूनाइडेट के तमाम बड़े नेता दिल्ली में कैंप भी कर रहे हैं। सबकी निगाहें इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी हैं। सबके मन में यही सवाल है कि आखिर नीतीश कुमार क्या चाहते हैं। बिहार की राजनीतिक को करीब से समझने वालों का मानना है कि जेडीयू के तमाम बड़े फैसले नीतीश कुमार ही करते हैं। कहा जा रहा है कि बिहार जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उन्हें उमेश कुशवाहा का नाम आगे करने का हैरान करने वाला फैसला लिया था। हालांकि कुछ नामों पर चर्चा जारी है। 

उपेंद्र कुशवाहा का नाम भी चर्चा में है
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर जारी अटकलों के बीच सबसे ऊपर उपेंद्र कुशहावा का नाम चल रहा है। इसके अलावा ललन सिंह का नाम भी चर्चा में है। गौरतलब है कि ललन सिंह लोकसभा में  जेडीयू के नेता हैं और नीतीश कुमार के काफी भरोसेमंद माने जाते हैं। वे संकट मोचक की भूमिका भी निभाते आए हैं। मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद ललन सिंह के बारे में कहा जादा है कि नीतीश कुमार ने तो उनके नाम को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए लगभग हरी झंडी दिखा ही दी है। 

राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भी रेस में
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने साल 1974 में कर्पुरी ठाकुर के शिष्य के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी। वे इस दौरान ही नीतीश कुमार के संपर्क में आए। ललन सिंह और नीतीश कुमार ने जब राजनीतिक करियर शुरू किया तब लालू यादव भी साथ थे। कहा जाता है कि साल 1992 में दिल्ली के बिहार भवन में एक घटनाक्रम के दौरानन लालू यादव की ललन सिंह से बहस हो गई थी। यहीं ललन सिंह ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर तय किया कि वे अलग पार्टी बनाएंगे। उन्होंने पार्टी बनाई भी। 

 

नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं ललन सिंह
कहा जाता है कि ये प्रस्ताव शरद यादव ने ठुकरा दिया लेकिन नीतीश कुमार और ललन सिंह ने तय कर लिया था कि अलग पार्टी बनानी है। साल 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस ने इसका समर्थन किया। 1994 में ही समता पार्टी का गठन किया गया। यही समता पार्टी आगे जाकर जनता दल यूनाइटेड में बदल गई है। लालू यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया। आखिरकार ललन और नीतीश की जोड़ी साल 2005 में लालू यादव को शिकस्त देने में कामयाब रही। गौरतलब है कि ललन सिंह का पार्टी में कोई खास विरोधी नहीं है। यदि किसी का ललन सिंह से मतभेद है भी तो वो मुखर होकर विरोध नहीं करता। ये बात भी ललन सिंह के हक में जाती है। 

कैसा रहा है ललन सिंह का राजनीतिक करियर
ललन सिंह साल 2000 में राज्यसभा के लिए चुने गए। बाद में लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने। नीतीश कुमार के साथ मजबूत रिश्ता बना रहा। हालांकि साल 2010 में ऐसा भी वक् आया जब नीतीश कुमार और ललन सिंह में मतभेद हो गया। ललन और नीतीश की जोड़ी टूट गई। हालांकि 2 सा बाद ही सारे गिले-शिकवे भुलाकर दोनों ने साथ आने के फैसला किया। आज भी ये दोस्ती काफी गहरी मानी जाती है। इसलिए उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर दावा काफी मजबूत है। चारा घोटाले को लेकर लालू के खिलाफ मुखर रहे नेताओं में ललन सिंह का नाम काफी लिया जाता है।