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सरयू राय बोले- संविधान के अनुरूप होनी चाहिए स्थानीय नीति, 15 नवंबर 2000 हो कट आफ डेट

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द फॉलोअप टीम, धनबाद: 

अविभाजित बिहार के समय से ही झारखंड के सरयू राय एकमात्र राजनीतिज्ञ हैं, जो सत्ता में रहें या विपक्ष में अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। पिछली रघुवर दास सरकार में मंत्री रहे, लेकिन उसके खिलाफ भी बोलने से नहीं चूके। चारा घोटाला और लौह अयस्क खनन घोटाला जैसे कई मामले उजागर करने के पीछे उनके ही नाम लिया जाता रहा है।  अब उन्होंने स्थानीय नीति पर जो बयान दिया है, उसके लिए वो लोगों के सियासी निशाने पर आ सकते हैं। धनबाद में मीडिया से उन्होंने कहा कि कोई भी स्थानीय नीति संविधान के अनुरूप नहीं होगी तो न्यायालय से रद्द हो जाएगी। हेमंत सरकार को 15 नवंबर 2000 को ही स्थानीयता नीति के लिए कट आफ डेट निर्धारित करना चाहिए। रघुवर सरकार की स्थानीयता नीति भी सही नहीं थी। 1985 को भी कट आफ डेट मानना आधारहीन है।

 

झारखंड में बढ़ा भ्रष्टाचार और प्रदूषण

निर्दलीय विधायक सरयू राय के मुताबिक झारखंड में भ्रष्टाचार और प्रदूषण बढ़ा है। सरकार की अगुवाई कोई भी कर रहा हो या सत्ता में कोई भी दल शामिल हो, नये राज्य बनने के बाद भ्रष्टाचार में तेजी आई है। सरयू 19 दिसंबर को रांची में भ्रष्टाचार और प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का एक  सम्मेलन करने जा रहे हैं। बताया कि इसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी बुलाया जाएगा।

सत्ता के सेवक बन रहे लोकसेवक

सरयू राय ने सरकारी अधिकारियाें पर लोकसेवक बनने की जगह सत्ता सेवक बनने पर एतराज जताया है। साथ ही ट्रांसफर कल्चर पर भी आपत्ति उठाई है। कहा कि झारखंड में हर पखवाड़े तबादले होते रहते हैैं। ऐसे अफसरों की अंतरात्मा को जगाने की जरूरत है। स्थानीय नीति पर कहा कि बिहार पुनर्गठन विधेयक में भी इसके लिए व्यवस्था की गई है। सरयू राय ने दूसरे राज्य से शिक्षा लेने वाले झारखंड के युवाओं को नियुक्ति की परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं देने को अनुचित बताया है।