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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल से केरल में फंसे 32 मजदूर सकुशल झारखंड लौटे

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द फॉलोअप टीम, दुमका:
उपराजधानी दुमका से करीब 32 श्रमिक केरल में मजदूरी करने गए थे और वहां जाकर फंस गए थे। गुरुवार को सभी अपने घर सकुशल लौटे गए। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर यह संभव हो सका है। दरअसल यह जून 2021 को काम की तलाश में केरल गए थे।  उन्हें केरल के ईदुक्की (न्यू वुडलैंड्स) स्थित चाय बगान में काम करने के लिए भेजा गया। श्रमिकों को एक छोटे से रूम में रखा गया था। इन श्रमिकों के मूल आधार कार्ड और एक हजार रुपये जिसमें उनका यात्रा खर्च शामिल था, ले लिया गया। श्रमिकों को इलायची के बगान में काम करने के नाम पर केरल भेजा गया था पर उन्हें जबरन चाय बागान में काम करने को कहा गया। 



दो लाख दो, आधार कार्ड लो 
श्रमिकों को प्रति दिन चार सौ रुपये देने की बात कही गयी। लेकिन दुरूह भौगोलिक स्थिति के कारण श्रमिक वहां काम करने को तैयार नहीं थे। बावजूद इसके उनसे जबरन काम कराया जा रहा था। काम करने के दौरान ही श्रमिकों को पीरमेड बेथेल प्लांटेशन, इदुक्की में कंपनी की तरफ से स्थानांतरित किया गया। श्रमिकों को कहा गया कि यदि वे वापस जाना चाहते हैं तो वे यात्रा खर्च में हुए 2,20000 रूपये देकर अपना आधार कार्ड लेकर जा सकते हैं। इसके अलावा वहां के बस चालक ने भी किराया के रूप में प्रति व्यक्ति 6000 रूपये की मांग की।




इस प्रकार हुई वापसी सुनिश्चित 
जब जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री चंपई सोरेन को हुई तो उन्होंने ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को श्रमिकों को मुक्त कराने का आदेश दिया। इसके बाद श्रम विभाग एवं फिया फाउंडेशन की ओर से उन श्रमिकों की वापसी के लिए प्रयास शुरू किए गए। राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से श्रमिकों की स्थिति जानने का प्रयास किया। उनके रहने की जगह का पता चलने के बाद तत्काल उनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई। मामले में दुमका उपायुक्त ने भी ईदुक्की के कल्केटर से बात कर जिला स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त किया। दुमका जिला प्रशासन और राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की ओर से केरल में टीम गठित कर मामले को सुलझाया गया। झारखण्ड के ही ठेकेदार ने इन श्रमिकों को ठगने का काम किया। ठेकेदार द्वारा जब्त श्रमिकों के आधार कार्ड को पुलिस के सहयोग से वापस कराया गया है।



क्या कहते हैं श्रमिक 
दुमका की श्रमिक अनिता मरांडी खुश हैं। वह कहती हैं हम केरल में बहुत तकलीफ में थे। हमारा आधार कार्ड ले लिया गया था और सताया जा रहा था। अब वहां से मुक्त होकर काफी अच्छा लग रहा है। अब काम करने अपने राज्य से बाहर दुबारा कभी  नहीं जायेंगे। हमारी गुहार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंत्री चम्पई सोरेन ने सुनी। उन्हें बहुत- बहुत धन्यवाद। अनिता जैसे दुमका के 32 श्रमिक और उनके पांच बच्चे खुश हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंत्री चम्पई सोरेन की पहल पर इन्हें घुटन भरी जिंदगी से मुक्ति मिल गई। श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष और फिया फाउंडेशन के संयुक्त पहल पर झारखण्ड के 32 श्रमिकों और उनके पांच बच्चों को केरल से मुक्त कराया लिया गया। सभी 15 जुलाई की सुबह 10 बजे धनबाद रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे।