द फॉलोअप टीम, धनबाद
2011 में हुए नेशनल गेम्स घोटाले में
धनबाद नगर निगम के चीफ इंजीनियर अजीत लुईस लकड़ा समेत चार आरोपितों पर गाज गिरनी
लगभग तय है। 10 वर्ष बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई तेज हुई है। इस मामले में
जांच अधिकारी ने एसीबी की विशेष अदालत से चारों आरोपितों की गिरफ्तारी को लेकर गैर
जमानती वारंट प्राप्त कर लिया है।
नगर निगम के कई अभियंता-कर्मचारी घेरे
में
नेशनल गेम्स को लेकर निगरानी में
प्राथमिकी पहले ही दर्ज की गई थी। इसमें सेवानिवृत्त कल्याण पदाधिकारी सुविमल
मुखोपाध्याय, धनबाद
नगर निगम के चीफ इंजीनियर अजीत लुईस लकड़ा, सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता कैबिनेट (निगरानी)
शुकदेव सुबोध गांधी और हीरालाल दास की भूमिका सामने आई है। इससे पूर्व राष्ट्रीय
खेल आयोजन समिति के महासचिव एसएम हाशमी और निदेशक रहे पीसी मिश्रा को गिरफ्तार
किया गया था, जबकि
कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक ने सरेंडर किया था। सभी जमानत पर हैं। घोटाले के खुलासे
के समय करोड़ों रुपए की खेल सामग्री जब्त की गई थी। असली के साथ-साथ नकली खेल
सामग्री और उपकरण भी पाए गए थे। इसमें मैट, बास्केटबॉल, टेनिस बॉल, जेवलिन, हैमर, हर्डल, डिस्कस, शॉर्टपुट, म्यूजिक सिस्टम, साइकिल, शटल, बैडमिंटन, पांच सौ से
अधिक तलवार, बैडमिंटन
बुनने की मशीनें आदि शामिल थीं।
स्पोटर्स हॉस्टल बदहाल
रांची, धनबाद और जमशेदपुर में 34वां
राष्ट्रीय खेल का आयोजन हुआ था। धनबाद के बिरसा मुंडा पार्क परिसर में स्पोटर्स
हॉस्टल, मैथन
में स्पोटर्स हॉस्टल, आइआइटी
आइएसएम परिसर का स्क्वैश कोर्ट आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इनपर
करोड़ों रुपये खर्च किए गए। आज इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। बिरसा मुंडा पार्क
का स्पोटर्स हॉस्टल तो सिर्फ ईवीएम मशीन रखने के ही काम आ रहा है।
स्क्वैश कोर्ट में वित्तीय अनियमितता
हो चुकी है उजागर
धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के
निर्माण में वित्तीय अनियमितता की बात सामने आयी थी। स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की
जिम्मेदारी मुंबई की एक कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गई थी। कंपनी ने एक
करोड़ 44 लाख 32 हजार 850 रुपये का इस्टीमेट दिया था। इस प्रस्ताव पर आयोजन समिति
के महासचिव एसएम हाशमी और तत्कालीन खेल निदेशक तथा सचिव की अनुशंसा के बाद फाइल
तत्कालीन खेल मंत्री के पास भेजी गई थी। मंत्री ने नीतिगत निर्णय लेते हुए इसे
अनुमोदित कर दिया था। इसमें कंपनी को अग्रिम 50 लाख रुपये दिए गए थे। बाद में बिना
स्वीकृति भुगतान के कारण वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई थी।