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अब सुप्रीम कोर्ट में सुलझेगा छठा JPSC विवाद, उम्मीदवारों को इंसाफ की उम्मीद

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द फॉलोअप टीम-रांची-JPSC का विवादों से चोली-दामन का रिश्ता रहा है। अक्सर किसी न किसी कारण से ये सुर्खियों में रहता है। एक बार फिर JPSC को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। इस बार मामला छठे झारखंड लोक सेवा आयोग के अंतिम परिणाम का है। इस बार खास बात ये है कि विवाद सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है। दरअसल JPSC में बरती गयी अनियमितता को लेकर छात्रों ने कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखा था। इस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका में बदल दिया। अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन्हें इंसाफ जरुर मिलेगा...
नियुक्ति स्थगन आदेश पर हाईकोर्ट में सुनवाई 
इससे पहले मामले में 26 जून को नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक के लिए दायर याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जेपीएससी और राज्य सरकार से जवाब मांगा था। और कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि नियुक्ति पर स्थगन आदेश क्यों न दे दिया जाये? बहस के दौरान जेपीएससी और सरकार के अधिवक्ता ने न्यायालय से एक सप्ताह की मोहलत मांगी। गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से स्थगन आदेश न देने का आग्रह किया गया था। इस पर न्यायालय ने एक सप्ताह समय देने के बजाय सुनवाई की अगली तारीख 5 अगस्त तय कर दी है।
JPSC का विवादों से नाता
छठे JPSC के परिणाम जारी होने के बाद से ही विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विवाद की जड़ में JPSC ने विज्ञापन के विपरीत जाकर क्वालिफाइंग पेपर को मेरिट लिस्ट में जोड़ देना है। JPSC की पीटी परीक्षा में जहां आरक्षण के आधार पर दोनों विषयों में क्वालिफाइंग नंबर लाना था। वहीं मेंस परीक्षा में इसका पालन नहीं किया गया। मेंस में सभी पेपर मिलाकर आरक्षण कोटे के आधार पर परिणाम निकाला गया। अधिकारियों के इस एक कदम से ना जानें कितने मेधावी छात्रों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। लंबे समय से JPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की मेहनत पर पानी फिर गया है।
विवाद की वजह
अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने वैसे उम्मीदवारों को परीक्षा में पास कर दिया है, जिन्होंने सभी विषयों में न्यूनतम क्वालिफिकेशन मार्क्स भी प्राप्त नहीं किए हैं। JPSC परीक्षा देने वाले छात्रों का कहना है कि पूर्व सचिव के बेटे और आयोग के कार्यालय में कार्यरत 12 कर्मियों को गोपनीय तरीके से परीक्षा में शामिल किया गया। इसके अलावा JPSC ने प्रश्न-पत्रों की छपाई का जिम्मा उस एजेंसी को सौंपा था, जिस पर कोलकाता और पटना उच्च न्यायालय में धोखाधड़ी का केस चल रहा है। इसके अलावा JPSC में सीबीआई 12 नियुक्तियों की जांच कर रही है, प्रारंभिक जांच में 69 अवैध तरीके से अभ्यार्थियों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।