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2 दिवसीय दौरे पर ग्लासगो पहुंचे पीएम मोदी, सौर उर्जा में वैश्विक भागीदारी पर होगी चर्चा

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द फॉलोअप टीम, डेस्क: 

प्रधानमंत्री मोदी 2 दिवसीय दौरे पर ग्लासगो पहुंचे। पीएम मोदी यहां जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के 26वें कांफ्रेंस ऑफ द पार्टी (COP-26) में भाग लेने पहुचे। ग्लासगों में एक होटल में बारतीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी का जोरदार  स्वागत किया। पीएम मोदी यहां 1 और 2 नवंबर को रूकेंगे और कांफ्रेंस में हिस्सा लेंगे। पीएम यहां ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे जिसमें दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर बात होगी। 

भारतीय समुदाय के बच्चे से पीएम की बातचीत
पीएम मोदी जब ग्लासगो स्थित होटल पहुंचे तो वहां उन्होंने भारतीय समुदाय के एक बच्चे से बातचीत भी की। बच्चा भी पीएम से बात करके काफी उत्साहित दिखा। भारतीय समुदाय ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया ही, साथ ही लोगों ने मोदी है भारत का गहना नाम का गाना भी गाया। गौरतलब है कि इससे पहले पीएम मोदी इटली में थे जहां उन्होंने पोप फ्रांसिस से भी मुलाकात भी की। पीएम मोदी ने इटली के राष्ट्राध्यक्ष से द्विपक्षीय वार्ता भी की और अहम मसलों पर चर्चा की। 

बोरिस जॉनसन के साथ भी मुलाकात करेंगे पीएम
इस बीच ब्रिटेन में भारतीय के उच्चायुक्त ने पीएम मोदी के ग्लासगो दौरे के बीच बोरिस जॉनसन से मुलाकात को लेकर कहा कि वैसे तो ये एक बहुपक्षीय आयोजन है लेकिन पीएम मोदी और बोरिस जॉनसन के बीच द्विपक्षीय मुलाकात खास होने वाली है। उच्चायुक्त ने बताया कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष इसमें मई 2021 में 2030 को लेकर द्विपक्षीय आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक साझेदारी पर तैयार रोडमैप पर चर्चा होगी। हो सकता है कि कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी हो। 

सौर उर्जा में वैश्विक भागीदारी को लेकर होगी चर्चा
भारतीय विदेश मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि सौर उर्जा साझेदारी की दिशा में बहुत अहम साझेदारी है। ये परखने का अवसर भी है कि वैश्विक समुदाय इस बारे में क्या राय रखता है। गौरतलब है कि वन सन, वन वर्ल्ड वन ग्रिड की अवधारणा प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सौर साझेदारी में रखी थी। इस अवधारणा के तहत एक ट्रांस-नेशनल इलेक्ट्रीसिटी ग्रिड का निर्माण करना है जिसके तहत पूरे विश्व को फेज के मुताबिक बिजली की सप्लाई की जा सके। इस प्लान का उद्देश्य सस्टेनेबल स्त्रोत की खोज की दिशा में कदम बढ़ाना है ताकि रिन्यूबल एनर्जी के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।