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जब अमेरिका और नीदरलैंड में प्रचलित रही श्रीराम के चित्र वाली राम मुद्रा, जानिये कहानी

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द फॉलोअप टीम, दिल्‍ली :

रामराज की बात सभी करते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान मर्यादापुरुषोत्‍तम श्रीराम के काल में कौन सी मुद्रा चलन में थी या मुद्रा की जगह सामान के खरीद-बिक्री के लिए विनिमय का सिद्धांत व्यवहार में था। लेकिन करोड़ों वर्ष बाद आज हम आपको ऐसी मुद्रा के बारे में बताएंगे, जिसे राम के नाम समर्पित किया गया। उस देश के बारे में बताएंगे जहां राम के चित्र वाले नोट छपे थे। इस राम मुद्रा को वर्ड पीस बॉन्ड के रूप में स्‍वीकार किया गया। यूरोप में यह 10 यूरो और अमेरिका में 10 डॉलर के बराबर था।

महर्षि महेश योगी ने शुरू की मुद्रा

पहले महर्षि महेश योगी (जन्म 12 जनवरी 1918 -निधन 5 फरवरी 2008 ) के बारे में जानिये। उनका जन्म छत्तीसगढ़ के राजिम के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की डिग्री ली। वहीं तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की। उनका भावातीत ध्यान विदेश में काफी लोकप्रिय है। उन्‍होंने कई देशों में अपने अध्यात्मिक संस्थान खोले। इनमें एक है अमेरिका का महर्षि महेश योगी नॉन प्रोफिट आर्गेनाइजेशन द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (GCWP)। संस्था ने 24 फरवरी 2002 से राम मुद्रा की शुरुआत की। 

 


 

तब सिर्फ आश्रम में चलती थी मुद्रा
GCWP का मुख्यालय आयोवा में महर्षि वैदिक शहर में है। यह राम मुद्रा का इस्तेमाल भक्त और श्रद्धालु सिर्फ महर्षि महेश योगी आश्रम में कर सकते थे। सामान के खरीद-फरोख्त  में यही प्रचलन रहा। आश्रम के बाहर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। संस्था की वेबसाइट के मुताबिक 24 फरवरी 2002 को वैदिक सिटी ने राम मुद्रा बांटना शुरू किया गया था। सिटी के आर्थिक विकास के लिए और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सिटी काउंसिल ने राम मुद्रा का चलन स्वीकार किया था। कागज की 'एक राम मुद्रा' की कीमत 10 अमरीकी डॉलर तय की गई थी।

 


 

अमेरिका के बाद  नीदरलैंड में भी प्रचलित
अमेरिका के बाद नीदरलैंड में भी राम मुद्रा प्रचलन में रही। 1, 5 और 10 की राम मुद्रा दोनों देशों के कुछ खास जगहों पर चलन में रही। बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2003 में नीदरलैंड के 30 गांव और कई कस्बों में राम मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता था। तब ‘डच सेंट्रल बैंक’ ने कहा था कि ‘राम मुद्रा’ का इस्तेमाल महर्षि महेश योगी की संस्था में होगा, यही अपेक्षा है। कोई गैर-कानूनी काम नहीं करने दिया जाएगा। अमेरिका और नीदरलैंड के सेंट्रल बैंकों ने कभी राम मुद्रा को आधिकारिक नहीं माना।