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थानेदार की सक्रियता से बची 1 युवक की जान, परिजनों को नही मिल रहा था कोई सुराग

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गोपी कुमार सिंह, लातेहार: 

लातेहार जिले के माको मोड़ स्थित चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी में कार्यरत एक कर्मचारी अचानक से लापता हो गया। अमित मिश्रा नाम का फील्ड फाइनेंस कर्मचारी कलेक्शन के सिलसिले में पलामू जिले के सतबरवा थाना क्षेत्र अंतर्गत खामडीह गया हुआ था। जानकारी के मुताबिक अमित मिश्रा और उनकी पत्नी के बीच फोन पर जब बात हुई तो अमित ने बताया कि वो उक्त जगह से निकल गया है वह कुछ ही देर में लातेहार पहुंच जाएगा। अमित मिश्रा लातेहार में किराए के रूम में रहते हैं।

मूल रूप से बनारस के रहने वाले हैं अमित
अमित मूल रूप से बनारस के रहने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक अमित मिश्रा और उनकी पत्नी के बीच 7 बजे आख़िरी बातचीत हुई थी। उस समय वो मनिका से आगे दोमुहान नदी पार करने की बात कहते हैं, लेकिन उसके बाद फोन रिसीव होना बंद हो जाता है। यहां आपको जानकारी देते चलें कि दोमुहान नदी से मतनाग गांव तक घना जंगल है। इस रास्ते पर पूर्व में कई बार लूटपाट की वारदात हो चुकी है। घंटो बीत जाने के बाद परिजनों को ये डर सताने लगा कि कही कोई घटना तो नही हो गईं। चूंकी अमित कलेक्शन के लिए गया हुआ था। उसके पास पैसा भी था। हालांकि पैसा कितना था यह कह पाना मुश्किल है।

लापता अमित की तलाश में भटक रहे थे परिजन
अमित मिश्रा की पत्नी के आलावा अमित के परिचित और कंपनी के कर्मचारी समेत अन्य लोग अमित से फोन पर लगातार संपर्क करने की कोशिश करते रहे।  फोन का कोई जवाब किसी को नहीं मिला था। इधर ढलती रात और पति के घर नहीं पहुंचने का डर अमित मिश्रा की पत्नी को इस कदर सताने लगा कि वो फूट-फूट कर रोने लगी। आनन-फ़ानन में कंपनी के कर्मचारी रात को ही अमित मिश्रा को उसके बताए रास्ते पर ढूंढने निकल गए लेकिन लातेहार से मनिका तक 27 किलोमीटर तक खोजने के बाद भी अमित मिश्रा का कहीं कोई सुराग नहीं मिला। जांच जारी थी। 

आजसू जिलाध्यक्ष ने भी शुरू की अमित की तलाश
इधऱ इस मामले की जानकारी के बाद आजसू के कार्यकारी जिला अध्यक्ष अमित पांडेय भी अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ रात के अंधेरे में ही परिवार वालों की मदद के लिए निकल पड़े। बाद में जब इस मामले की जानकारी परिजनों ने पत्रकारों को दी। तब मनिका थाना प्रभारी शुभम कुमार को पत्रकारों ने पूरे मामले से अवगत कराया। थाना प्रभारी शुभम कुमार ने जरा भी देरी न करते हुए मदद का भरोसा दिया। समय रात के 10:30 बजे चुके थे। अमित मिश्रा की पत्नी एवं उनका एक छोटा बेटा डर से कांप रहे थे। कहीं से किसी को कोई मदद की उम्मीद नहीं दिख रही थी। चूंकि रात के 10:30 बजे चुके थे। उस इलाके में पुलिस पेट्रोलिंग करना भी काफी मुश्किल भरा काम था। 

भाकपा माओवादियों का खतरा भी बरकरार था
चूंकि जंगल के आस-पास भाकपा माओवादियों की चहलकदमी रहती है। इस पूरे घटनाक्रम में थाना प्रभारी शुभम कुमार की सक्रियता ने कई लोगों का दिल जीत लिया। हर किसी के मुंह से यह बात सुनने को मिल रही थी कि आज अगर थाना प्रभारी मदद नही करते तो शायद एक बड़ी अनहोनी हो सकती थी। दरअसल शुभम कुमार ने मामले की जानकारी के बाद तत्काल अमित मिश्रा के फोन लोकेशन को खंगालना शुरू किया। लोकेशन ट्रेस होते ही थाना प्रभारी ने इसकी सूचना परिजनों को दी और उक्त स्थान में एकबार तलाश करने की बात कही। दरअसल उन्होंने बताया कि दोमुहान नदी और पतकी पिकेट के बीच देवार मोड़ के आस-पास का लोकेशन आ रहा है। आगे उन्होंने बताया कि फ़ोन चालू रहना और रिसीव नही होना इस बात का प्रमाण है कि कोई लूटपाट जैसी घटना नहीं हुई होगी। 

फोन का लोकेशन तलाश कर अमित तक पहुंची पुलिस
थाना प्रभारी की सूचना पर आजसू के कार्यकारी अध्यक्ष अमित पांडेय उनके कार्यकर्ता एवं अमित मिश्रा के परिजन उस लोकेशन के आस-पास फोन पर रिंग कर तलाश कर ही रहे थे कि उन्हें सड़क किनारे फोन बजता हुआ दिखाई दिया। एका-एक सभी लोग उस तरफ दौड़ पड़े। नजदीक जाकर देखा तो अमित मिश्रा बेसुध पड़ा हुआ है और मोबाइल पर रिंग लगातार बज रही है। मतलब साफ़ है की अमित मिश्रा सड़क दुर्घटना का शिकार हुआ था। आजसू के कार्यकारी अध्यक्ष अमित पांडेय एवं उनके कार्यकर्ता आनन-फानन में अमित मिश्रा को लगभग 12 बजे रात को इलाज के लिए लातेहार सदर अस्पताल लेकर पहुचे। जहां डॉक्टरों की टीम ने स्वास्थ्य जांच के बाद बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है। 

डॉक्टरों ने अमित को बताया खतरे से बाहर
डॉक्टरों की इस बात से अमित मिश्रा के लापता होने की ख़बर से बेचैन सभी लोगों ने राहत की सांस ली। इधर आजसू के कार्यकारी अध्यक्ष अमित पांडेय ने डॉक्टरों को बेहतर इलाज करने की बात कही। यहां गौर करने वाली बात यह कि अगर 10:30 बजे रात तक मामले कि जानकारी के बाद तत्काल थाना प्रभारी शुभम कुमार अगर सक्रिय नहीं होते तो अमित मिश्रा को रात के अंधेरे में किसी के लिए भी खोज पाना मुश्किल था। अब आप अंदाजा लगाएं कि अगर रात में अमित मिश्रा नहीं मिला होता तक एक बड़ी अनहोनी हो सकती थी। एक पत्नी का पति और बेटे से उसके पिता का साया उठ गया होता।

कागजी प्रक्रिया का पालन ना कर की कार्रवाई
बहरहाल थाना प्रभारी ने जिस तरह काग़ज़ी प्रक्रिया का हवाला न देकर सीधे मदद करते हुए फोन से जुड़े रहकर अमित मिश्रा की जान बचाई है। इससे यह तो साफ़ है कि अगर हर थानेदार छोटी बड़ी घटना पर तत्काल संज्ञान लेते हैं तो बड़ी-बड़ी से अनहोनी को टाला जा सकता है। थाना प्रभारी शुभम कुमार की ये सक्रियता दूसरे पुलिस जवानों के लिए एक बड़ी सीख है। इधर लातेहार से आजसू के कार्यकारी अध्यक्ष अमित पांडेय ने भी शुभम कुमार के इस नेक कार्य की तारीफ की है।