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किसान आंदोलन के 4 माह पूरे: संयुक्त किसान मोर्चा ने बुलाया भारत बंद, दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर जाम, 32 जगह रेल यातायात ठप

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली: 

किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे हो चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसके उपलक्ष्य में भारत बंद का आह्वान किया है। शुक्रवार को भारत बंद अभियान सुबह 6 बजे शुरू हो चुका है। अभियान शाम सात बजे तक चलेगा। बता दें कि दिल्ली की तीन सीमाओं, सिंघू, गाजीपुर और टिकरी में किसानों को आंदोलन करते हुये चार महीने का लंबा वक्त बीत चुका है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों द्वारा बुलाये गये भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने इसे सत्याग्रह बताया। 
 

किसानों द्वारा बुलाये गये भारत बंद का दिखा असर
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाये गये भारत बंद का असर दिखने लगा है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित पश्चिमी यूपी के कई इलाकों में व्यवस्था चरमरा गयी है। दुकानें बंद है और यातायात भी प्रभावित हुआ है। किसानों ने दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर को जाम कर दिया है। दिल्ली के आसपास पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग 32 लोकेशन पर किसानों ने रेल पटरियों पर भी जाम कर दिया है। रेलवे ने एहतियात के दौर पर 4 शताब्दी ट्रेनों को रद्द करने का फैसला किया है। कांग्रेस और वामपंथी फ्रंट सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन किया है और कृषि कानून वापस लेने की मांग का समर्थन किया। 

भारत बंद में सब्जियों और दूध की आपूर्ति रोकी जायेगी
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने एक वीडियो संदेश में कहा कि बंद के दौरान सब्जियों और दूध की आप्रूति भी रोकी जायेगी। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने उन पांच राज्यों में बंद का आह्वान नहीं किया जहां चुनाव होने वाला है। बाकी राज्यों में सभी दुकानें, मॉल और बाजार बंद रहेंगे। छोटे और बड़े सभी मार्ग अवरूद्ध किये जायेंगे। ट्रेनों को रोका दिया गया है। एंबुलेंस सहित अन्य जरूरी सेवाओं को नहीं रोका जायेगा। किसानों से अपील की गयी है कि वे बंद के दौरान किसी भी तरीके के हिंसक आंदोलन या उपद्रव की स्थिति पैदा ना होने दें। इस दौरान राजधानी दिल्ली में भी चक्का जाम किया गया है। 

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन के 4 महीने पूरे हो गये
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा संसद से पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की प्रतिनिधि संस्था संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाये। किसानों का कहना है कि तीन नये कृषि कानूनों के जरिये एमएसपी को खत्म किया जा रहा है। किसानों का ये भी कहना है कि उनकी जमीनें कॉरपोरेट घरानों को देने की साजिश की गयी है। वहीं सरकार का तर्क है कि ये कानून किसानों की आय बढ़ाने के लिये है। सरकार का कहना है कि तीनों कृषि कानून किसानों को उनकी उपज के लिये बेहतर बाजार मुहैया कराएंगे।