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ऐसी प्रेम कहानी, जिसमें प्रेमी और प्रेमिका ने की दो-दो हजार किलोमीटर पैदल यात्रा और फिर.....

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अशोक पांडेय, दिल्ली:

एक दूसरे के लिए बने थे मारीना और ऊले। दोनों कलाकार थे। मारीना सर्बिया की थी ऊले जर्मनी का। ऊले तीन साल बड़ा था अलबत्ता दोनों की जन्मतिथि एक ही थी - 30 नवम्बर। 1976 में उनकी हुई उनकी पहली मुलाक़ात प्यार में तब्दील हुई। ऊले ने मारीना के भीतर किसी दूसरे संसार से आई मायाविनी को पाया। मारीना उसकी बेपरवाह आवारगी पर कुर्बान हुई. अगले बारह साल तक दोनों ने आधुनिक कला के क्षेत्र में बड़े और ऐतिहासिक प्रयोग किये. दोनों परफ़ॉर्मेंस आर्टिस्ट थे और मिल कर काम करते थे और खुद को दो सिरों वाला एक शरीर बताया करते थे। बरसों तक अपनी वैन में उन्होंने समूचे यूरोप भ्रमण किया और गाँव-गाँव जाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनकी कला दर्शकों के सम्मुख इंसानी बर्दाश्त की हद को परखने का माध्यम हुआ करती थी। हकबकाए दर्शकों की प्रतिक्रिया भी इस कला को एक अलग आयाम दिया करती थी। एक बार वे घंटों तक खिंचे हुए धनुष-बाण को थामे ऐसी मुद्रा में स्थिर खड़े रहे जिसमें दोनों की एक ज़रा सी चूक से तीर मारीना के दिल के आर-पार हो सकता था। एक और दफा उन्होंने अपने बालों को आपस में बांधा और सत्रह घंटे खड़े रहे।

 

Marina Abramović et Ulay - Amelie, Maison d'art

 

उनके इस सम्बन्ध और उनकी जोखिम भरी कला को समूची दुनिया बहुत लाड़ दिया। संसार भर के आलोचक उनके हर नए प्रदर्शन की बेचैन प्रतीक्षा किया करते थे। पहली मुलाक़ात के समय मारीना शादीशुदा थी. ऊले से मिलने के बाद उसने तलाक ले लिया था। सात साल साथ रहने के बाद उन्होंने अंततः शादी के बंधन में बंधने का निर्णय किया। 1983 में लिए गए इस निर्णय के साथ एक अनूठी बात जुड़ी हुई थी। दोनों प्रेमी चीन के महान दीवार के विपरीत छोरों से अलग-अलग चलना शुरू करने वाले थे। दीवार के बीचोबीच पहुँचने पर एक चीनी मंदिर में शादी होनी थी। इस काम में तकरीबन तीन माह का समय लगना था। इस अतिमानवीय प्रोजेक्ट में उन्होंने प्रेमियों के साथ-साथ परफ़ॉर्मर और दर्शक दोनों का किरदार भी निभाना था। दुनिया भर के अखबारों ने इस ख़बर को छापा।

 

Marina Abramović: Pandemija nije promijenila moj način života

चीनी अधिकारियों की समझ में नहीं आया कि उनकी प्राचीन दीवार पर चलना आर्ट प्रोजेक्ट कैसे हो सकता है। उन्हें वीजा दिए जाने में इतने अड़ंगे लगे कि एक बार दोनों ने आजिज़ आकर अपने इरादे को छोड़ देने का निर्णय लेने की सोची.।पांच साल बाद किसी तरह चीनी सरकार ने उनकी बात मान ली और अनेक शर्तों के साथ 30 मार्च 1988 को यात्रा शुरू हुई। महान दीवार को चीन में सोया हुआ ड्रैगन कहा जाता है। हर रोज़ करीब बीस किलोमीटर चलने के बाद दोनों कभी दीवार में बन गए किसी छेद या किसी गुफा या नज़दीकी गाँव की झोपड़ी में सो जाते थे। कई बार उन्हें खुले आसमान के नीचे सोना पड़ता था। गाँवों में सोने का अवसर मिलता तो वे उस गाँव के सबसे बूढ़े व्यक्ति से मिलते और कोई कहानी सुनाने को कहते। ये कहानियां अक्सर उसी सोये हुए ड्रैगन के बारे में हुआ करती थीं। रास्ता बहुत मुश्किल और दुर्गम था – दोनों कई बार जान से हाथ धोते-धोते बचे। एक बाद मारीना को दो किलोमीटर लम्बे एक ऐसे हिस्से से गुज़रना पड़ा जो मानव-अस्थियों से ढंका हुआ था।

 

Ulay "appears" in front of Marina Abramović | The Strength of Architecture  | From 1998

आखिरकार करीब दो-दो हजार किलोमीटर पैदल चल चुकने के बाद मिंग साम्राज्य के समय में बनाए गए मंदिरों के एक परिसर में दोनों की मुलाक़ात हुई।दोनों ने एक दूसरे को गले से लगाया। ऊले ने कहा वह अनन्त काल तक वैसे ही चलता रहना चाहता है। मारीना जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहती थी।फिर वह रोने लगी। मीडिया की चहलपहल के अलावा वहां शादी की पूरी तैयारियां भी थीं। दोनों ने एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसके बाद वे बगैर शादी किए अलग-अलग रास्तों से एम्स्टर्डम को रवाना हो गए। उनकी अगली मुलाक़ात 22 सालों बाद हुई। दरअसल चीनी दीवार की यात्रा शुरू होने में हुए पांच साल के विलम्ब के दौरान दोनों के जीवन पूरी तरह बदल चुके थे। दोनों के अलग-अलग प्रेम सम्बन्ध बन गए थे। उनके काम को दुनिया में नाम और पैसा मिल रहा था – मारीना को नया जीवन चाहिए था ऊले पुराने तरीक़े से आवारगी करने का हिमायती था। दोनों जानते थे कि उनका सम्बन्ध समाप्त हो चुका था लेकिन उन्होंने फैसला किया कि यात्रा हर हाल में की जाएगी चाहे उसका उद्देश्य सदा के लिए एक दूसरे का हो जाने के बजाय बिछड़ जाना क्यों न हो।

 

इस दास्तान का अगला मोड़ बाईस साल बाद देखने को मिला.न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ़ मॉडर्न आर्ट में मारीना का शो – ‘द आर्टिस्ट इज प्रेजेंट’ – चल रहा था। मारीना हर दिन आठ घंटे एक मेज के सामने कुर्सी डाले बैठी रहती थी। लोग उसके सामने आकर बैठते और जब तक संभव हो उससे नजरें मिलाये रहते। मारीना की आँखें बगैर किसी भावना के उन्हें देखती रहतीं। दोनों के बीच दो मीटर का फासला हुआ करता। एक दूसरे को छूने की मनाही थी. यह शो करीब चार माह तक चला और मारीना ने साढ़े सात सौ घंटे इस तरह बिताए। हर बार नए दर्शक के बैठने से पहले मारीना आँखें मूंद लेती थी. वह ऐसे ही बैठी थी जब उसके शो के बारे में सुन कर कहीं से ऊले भी वहां पहुंचा और मारीना के सामने बैठ गया। मारीना अब्रामोविच आँखें खोलती है। 22 साल बाद सामने बैठे फ्रैंक उव लेसीपेन उर्फ़ ऊले को देखती है। उसकी आँखों में एक हरकत होती है, वह हलके से मुस्कराती है और उसके कोरों पर एक आंसू अटक कर रह जाता है. एक-डेढ़ मिनट के उस दृश्य को शब्दों में बयान करने का कलेजा मेरे पास नहीं है। फिर वह अपना ही बनाया नियम तोड़ती है और आगे की तरफ झुक कर ऊले के हाथ थाम लेती है। 2020 में ऊले के मरने तक मारीना उसके साथ रही।

 

( अशोक पांडेय मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं। बेहद पढ़ाकू लेखक। संप्रति स्वतंत्र लेखन।)

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। सहमति के विवेक के साथ असहमति के साहस का भी हम सम्मान करते हैं।