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सर सुनिये! मुमकिन है कि मैं CM बन जाऊं पर आप IAS नहीं बन पाइयेगा- क्यों कहा था यशवंत सिन्हा ने ऐसा

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द फॉलोअप टीम, कोलकात: 
सर सुनिये! हम चाहेंगे ना तो इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री बन जायेंगे लेकिन आप कभी आईएएस अधिकारी नहीं बन पाइयेगा। द टेलीग्राफ को दिये एक इंटरव्यू में यशवंत सिन्हा ने कहा था कि एक बार बिहार के सीएम कर्पूरी ठाकुर उनपर चीख पड़े थे। इस बात से नाराज होकर यशवंत सिन्हा ने कर्पूरी ठाकुर से कहा था कि मुमकिन है कि मैं एक दिन सीएम बन जाऊं लेकिन आप चाहकर भी आईएस नहीं बन पायेंगे। 



प्रशासनिक अधिकारी से राजनेता तक यशवंत
यशवंत सिन्हा। जिनकी जिंदगी केवल प्रशासनिक सेवा से होते हुये राजनीति तक जाने वाली रोलर कोस्टर मात्र नहीं रही बल्कि राजनीति में भी उनकी जिंदगी कई घुमावदार और रोचक मोड़ की गवाह रही है। कभी अटल सरकार के संकटमोचक रहे यशवंत सिन्हा अब ममता बनर्जी के तारणहार बनने की राह चल पड़े हैं। 82 साल की उम्र में राजनीति की दूसरी पारी कितनी कामयाब रहेगी ये तो वक्त बतायेगा। 
इस वक्त हम बात करेंगे यशवंत सिन्हा के उस बागी तेवर की जो प्रशासनिक अधिकारी रहने से लेकर राजनीतिक गलियारों में सफर के दौरान भी उनके साथ रही। आज बात यशवंत सिन्हा के इसी बागी तेवर की होगी। तेवर जिसकी वजह से यशवंत की जिंदगी हमेशा उतार-चढ़ाव भरी रही।  

बतौर आईएस इन अहम पदों पर रहे यशवंत
यशवंत सिन्हा साल 1960 में आईएएस बने। 1984 में वीआरएस लेने से पहले 24 साल लंबे करियर में यशवंत सिन्हा सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट, डिस्ट्रीक्ट मजिस्ट्रेट सहित बिहार और भारत सरकार में अंडर सेक्रेटरी, डेप्युटी सेक्रेटरी जैसे कई अहम पदों पर रहे। साल 1971 से 1973 तक जर्मनी में भारतीय दूतावास में कमर्शियल सेक्रेटरी रहे। 1984 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1986 में जनता पार्टी ने यशवंत सिन्हा को जनरल सेक्रेटरी बनाया। साल 1988 में बतौर राज्यसभा सांसद पहली बार संसद पहुंचे। 1989 में जनता दल का गठन किया गया। यशवंत सिन्हा जनरल सेक्रेटरी बनाये गये। 



जनता पार्टी से भारतीय जनता पार्टी तक
यशवंत सिन्हा 1990 से 1991 के बीच चंद्रशेखर सरकार में वित्तमंत्री रहे। साल 1998 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुये। पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी। 1998 में ही अटल सरकार में वित्त मंत्री बनाये गये। इस पद पर यशवंत सिन्हा 2002 तक रहे। 2002 में यशवंत सिन्हा को विदेश मंत्री बनाया गया। इस पद पर यशवंत सिन्हा 2004 तक रहे। 2004 के बाद अटल बिहारी सक्रिय राजनीति से दूर हो गये। यशवंत सिन्हा की भी पार्टी में वो जगह नहीं रही। 



और जब बागी होकर बीजेपी छोड़ दिया
2014 में बीजेपी ने यशवंत सिन्हा की जगह उनके बेटे जयंत सिन्हा को टिकट दिया। जयंत सिन्हा जीते और केंद्र में मंत्री बनाये गये। यशवंत सिन्हा इसके बाद से मोदी सरकार के खिलाफ खूब मुखर रहे। बागी रूख अख्तियार कर लिया और सार्वजनिक मंचों से केंद्र सरकार की नीतियों की खुलेआम आलोचना करने लगे। 21 अप्रैल 2018 को यशवंत सिन्हा ने बीजेपी छोड़ दी।