logo

वज्रपात की घटनाओं से कैसे करेंगे अपनी सुरक्षा, क्यों संवेदनशील है झारखंड! यहां जानिए पूरी बात

10422news.jpg
द फॉलोअप टीम, रांची:


झारखंड के कर्रा में वज्रपात से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। शनिवार को पूरे झारखंड में कुल 11 लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक झारखंड में बीते 9 साल में वज्रपात की वजह से 1600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि झारखंड में वज्रपात की अधिकांश घटनाएं जून से सितंबर माह के बीच होती है। मौसम विभाग का ये भी अनुमान है कि वज्रपात की अधिकांश घटनाएं दोपहर के बाद होती है। साल 2019 में केवल एक वर्ष में झारकंड में 4 लाख 53 हजार 110 बार ठनका गिरा जिसमें 118 लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा बताता है कि देश में औसतन 1 हजार 182 लोग वज्रपात की वजह से मारे जाते हैं। हैरानी की बात है कि अभी तक बचाव का कोई कारगर तरीका नहीं खोजा गया है। साल 2019 में केवल एक वर्ष में झारकंड में 4 लाख 53 हजार 110 बार ठनका गिरा जिसमें 118 लोगों की मौत हो गई। 



वज्रपात के लिहाज से संवेदनशील है झारखंड
वज्रपात  के लिहाज से झारखंड सर्वाधिक संवेदनशील प्रदेश है। यहां वज्रपात की घटना मैदानी इलाकों वाले राज्यों के मुकाबले ज्यादा होती है। झारखंड में वज्रपात की घटनाओं की वजह से इसका समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर होना है। झारखंड का अधिकांश इलाका पठारी और पहाड़ी है। यही वजह है कि यहां बादल के वाष्प कण आपस में टकरा कर अत्यधिक उर्जा पैदा करते हैं। यहां काफी मात्रा में खनिज भूमि है तो घर्षण से उत्पन्न उर्जा को ज्यादा आकर्षित करते हैं। छोटी पहाड़ियां, लंबे पेड़, जंगल, दलदली इलाके, ऊंचे टावर और ऊंची इमारतें वज्रपात के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील होते हैं। 



कैसे पता चलता है कि कहीं कब वज्रपात होगा
सवाल ये भी उठता है कि कैसे पता चलेगा कि वज्रपात होने वाला है। यहां समझ लीजिए। यदि आसमान में अचानक कम ऊंचाई वाले घने बादल दिखें तो इसकी पहली बूंद के बाद कभी भी और कहीं भी वज्रपात हो सकता है। बिजली चमकने और गड़गड़ाहट की आवाज के बीच का अंतराल यदि 30 सेकेंड से कम हो. आपके सिर के बादल खड़ा हो जाया। आकाश गहरे आसमानी रंग का दिखे तो समझ लीजिए की वज्रपात होने वाला है। 



वज्रपात की घटना में बचाव का तरीका क्या होगा

-अब जान लेते हैं कि वज्रपात से बचाव का उपाय क्या है। वज्रपात के दौरान मजबूत छत वाला मकान सबसे सुरक्षित स्थान है बचाव का।  वजपात से बचने के लिए घरों में तड़ित चालक लगवाना भी अच्छा विकल्प है। यदि आप घर में हैं और बारिश के साथ मेघ गर्जन हो रहा हो तो  पानी का नल, फ्रिज, टेलीविजन, टेलिफोन या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को ना छुयें। बिजली से चलने वाले सभी उपकरण बंद कर दें। दो पहिया वाहन, ट्रक या ट्रैक्टर अथवा नांव पर सवार हों तो तुरंत उससे उतरकर सुरक्षित स्थान पर चले जायें। टेलिफोन, बिजली और टेलीविजन टावर से दूर रहें। कपड़ा सुखाने के लिए धातु की तार के बदले जूट या सूत की रस्सी का प्रयोग कीजिए। बिजली चमक रही हो या गर्जन हो रहा हो तो ऊंचे या एकांत में लगे पेड़ के पास ना जायें।
 
-यदि आप जंगल में हैं तो बौने या कम ऊंचाई वाले घने पेड़ों की छांव में चले जाएं। ऊंचे पेड़, दलदली जमीन या जलस्त्रोत वाले इलाकों से दूर रहें। खुले आसमान के नीचे ना रहें। यदि आप तैराकी कर रहे हैं, मछली पकड़ रहे हैं या जलविहार कर रहे हैं तो तुरंत सुरक्षित स्थान पर जायें। गीले खेतों में हल चलाने या रोपनी करने वाले किसोन सुरक्षित सूखे स्थान पर चले जायें। यदि कोई उपाय ना हो तो भी ये विकल्प अपना सकते हैं

-यदि खेत खलिहान में काम करने के दौरान कोई सुरक्षित स्थान ना मिले तो पैरों के नीचे सूखे लकड़ी का बुरादा या पटरा रख लें। प्लास्टिक की चीज भी रख सकते हैं। प्लास्टिक या जूट का सूखा बोरा पैरों के नीचे रखे लें। दोनो पैरों को आपस में सटा लें। घुटनों के बीच अपने सिर को रखकर जमीन की तरफ झुका लें। जमीन को ना तो हाथ से छुएं और ना ही लेटें। दामिनी एप भी बचाव में काफी कारगर साबित हो सकता है। 



वज्रपात से बचाव में क्या भूमिका निभाता है दामिनी एप
भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान के कृषि मौसम विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. राजन चौधरी, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ज्योतिर्मय घोष और डॉ, निर्मल कुमार की टीम ने ठनका से सावधान करने के लिए दामिनी एप विकसित किया है। दामिनी एप लोगों को वज्रपात के प्रति सावधान कर सकता है।  दरअसल भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के तहत संस्थान ने देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 48 सेंसर के साथ लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया है। ये नेटवर्क बिजली की गड़गड़ाहट और ठनका की गति के बारे में सटीक जानकारी देता है। इसी का उपयोग करते हुए मोबाइल एप दामिनी का विकास किया गया है। ये एप बिजली गिरने के 30-40 मिनट पहले सावधान कर देता है। एप ठनका गिरने के स्थान से 40 वर्ग किमी के क्षेत्र की जानकारी देता है। 



वज्रपात में जानमाल का नुकसान होने पर सरकारी प्रावधान
वज्रपात से मौत होने पर सरकार की तरफ से आपदा प्रबंधन एक्ट के मुताबिक मुआवजे का भी प्रावधान है। वज्रपात से मौत होने पर प्राथमिकी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का होना जरूरी है। अंचल अधिकारी या जिले के आपदा प्रबंधन प्राधिकार अथवा उपायुक्त को लिखित आवेदन देकर भी मुआवजा या सहायता राशि के लिए संपर्क किया जा सकता है। ये भी जान लीजिए की वज्रपात पर मौत होने और घायल होने पर कितना मुआवजा मिलता है। केवल मौत होने या घायल होने पर ही मुआवजा नहीं मिलता बल्कि संपत्ति के नुकसान पर भी मुआवजा मिलता है। 



वज्रपात से मौत होने पर कितना मुआवजा देती है सरकार
सरकारी प्रावधानों के मुताबिक वज्रपात से मौत होने पर मृतक के आश्रितों को 4 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। घाल होने पर 2300 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक का मुआवजा मिलता है। ये राशि इस बात पर निर्भर करती है कि संबंधित व्यक्ति कितना गंभीर रूप से घायल है। कच्चा या पक्का मकान यदि वज्रपात में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया हो तो प्रति मकान 95 हजार 100 रुपये का प्रावधान किया गया है। झोपड़ियों को नुकसान पहुंचने पर 2100 रुपये का प्रावधान किया गया है। दुधारू गाय, भैंस की मौत पर प्रति पशु 30 हजार रुपये के मुआवजा मिलता है। भेड़ या बकरी सहित अन्य पशु की मौत पर 3 हजार रुपया बतौर मुआवजा मिलता है।