रांची
राजस्थान के जयपुर में आयोजित 6वीं पैरा नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में झारखंड के खूंटी जिले के झोंगो पाहन ने अपनी शानदार प्रदर्शन से 2 रजत पदक जीते। उन्होंने इंडियन राउंड 50 मीटर व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक प्राप्त किया, साथ ही इंडियन राउंड बालक टीम स्पर्धा में भी अपनी टीम के साथ रजत पदक जीता। झोंगो की इस सफलता ने न केवल उसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया, बल्कि झारखंड राज्य और खूंटी जिले को भी गर्व महसूस कराया। इस प्रतियोगिता में भाग लेकर झोंगो ने साबित किया कि मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
झोंगो पाहन खूंटी जिले के शिल्दा गांव का निवासी है, और नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय में पढ़ाई कर रहा है। तीरंदाजी में उसकी रुचि बचपन से ही थी, और उसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत शुरू की। हालांकि झोंगो को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी। उसकी गरीबी और दिव्यांगता ने उसे कभी भी अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटने दिया। तीरंदाजी के क्षेत्र में उसका संघर्ष और समर्पण उसे न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है।
झोंगो ने अपनी मेहनत और संघर्ष से यह साबित किया कि शारीरिक चुनौतियाँ किसी के सपनों को पूरा करने में रुकावट नहीं डाल सकतीं। उसकी सफलता यह संदेश देती है कि मानसिक दृढ़ता और संघर्ष से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। झोंगो ने अपने गांव, जिले और राज्य का नाम रोशन किया है और उसकी सफलता पर उसके परिवार और समुदाय को गर्व है। इस सफलता ने न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रेरणा दी है।
झोंगो के शिक्षक और कोच भी उसकी मेहनत और समर्पण से प्रभावित हैं। वे मानते हैं कि उसने खेलों में जो उपलब्धि प्राप्त की है, वह अन्य दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। उसकी सफलता यह साबित करती है कि खेलों में समावेशिता और समान अवसर मिलने से दिव्यांग खिलाड़ी भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। झोंगो की कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो किसी कारणवश जीवन की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।