महान शख्सियतों के जीवन में विडंबनाओं के एकाधिक पल अनिवार्य रुप से रहते हैं। मधुशाला के रचनाकार डॉ हरिवंश राय बच्चन के जीवन में भी थे। उनके जीवन में इसलिए थे क्योंकि वे कुछ बड़ा कर रहे थे, कुछ बड़ा रचनेवाले थे।