आज पूरा झारखंड हूल दिवस मना रहा है। दरअसल, 30 जून 1855 को संताल आदिवासियों ने सिद्धो कान्हू चांद और भैरव नाम के 4 भाइयों के नेतृत्व में साहूकारी-महाजनी व्यवस्था और ब्रिटिश राज के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका था
मांडर विधायक बंधु तिर्की ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड के सचिव को पत्र लिखकर कोविड 19 के उपरांत बंद पड़े विद्यालयों को सुसज्जित एवं सुचारू अवस्था में लाने का सुझाव दिया है