बेतिया :
अक्सर बेटियों के जन्म पर खुशियां नहीं मनाई जाती। कहीं-कहीं तो बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता है। कई बार माओं को प्रताड़ित किया जाता है यदि उसने बेटी को जन्म दिया तो। भारतीय समाज की विडंबना रही है कि अक्सर दहेज की आग में जली बेटियों को हॉस्पिटल आते देखा जाता है लेकिन क्या हो यदि किसी बेटी को अस्पताल से सजी-धजी गाड़ी में घर ले जाया जाये। ऐसा हुआ है। मामला बिहार के बेतिया जिले का है। इस वाकये की जानकारी जिसे भी मिली, मुस्कुरा उठा।
बिहार के बेतिया का है पूरा मामला
बिहार के बेतिया में एक परिवार में बेटी ने जन्म लिया। बच्ची का जन्म अस्पताल में हुआ। बेटी के जन्म से परिवार इतना खुश था कि उसे सजी-धजी गाड़ी में गाजे-बाजे के साथ अस्पताल से घर ले गया।
गौरतलब है कि बिहार के बेतिया जिले में भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित मैनाटांड़ प्रखंड में एक छोटा सा गांव है टोला चपरिया। यहां रहने वाले शेषनाग कुमार के घर बेटी ने जन्म लिया। बेटी के जन्म से पूरा परिवार झूम उठा। परिवार इतना खुश था कि उसे अस्पताल से घर सजी-धजी गाड़ी में ले गया।
पूरा परिवार सजी-धजी गाड़ी में पहुंचा था
बेटी के जन्म की खुशी इतनी थी कि पिता के साथ-साथ घर वाले भी अपनी बेटी को अस्पताल से घर लाने बेहद खूबसूरत अंदाज में पहुंच गए।
बता दें कि गुरुवार को अस्पताल में बेटी के जन्म होने पर परिवार के सदस्यों ने उसे लक्ष्मी के रूप माना और बेटी को अस्पताल से घर ले जाने के लिए कार को दुल्हन की तरह सजा कर पहुंचे। इतना ही नहीं अस्पताल से लेकर घर तक मिठाई भी बांटी गई। पिता शेषनाथ कुमार ने बताया कि यह मेरी बेटी नहीं रानी लक्ष्मीबाई की रूप है। मुझे बेटों से ज्यादा बेटी पसंद है।
पिता शेषनाग ने बेटी होने पर जताई खुशी
शेषनाग ने बताया कि मुझे बेटी होने पर इतनी खुशी है कि मैं जाहिर नहीं कर पा रहा हूं। ऐसा नहीं कि शेषनाथ के घर पहली बेटी का जन्म हुआ बल्कि पहले से ही उनकी एक बेटी है जिसका नाम श्रेया है जो कि अब 2 साल की हो चुकी है। सबसे हैरत कि बात तो यह है कि शेषनाथ को कोई बेटा नहीं है फिर भी बेटियों से ऐसा प्यार नहीं के बराबर ही देखने को मिलता है।
बेटी के जन्म पर परिवार वालों की इतनी खुशी थी कि पूरे घर को गुब्बारे व फूल माला से सजा दिया। वहीं अस्पताल से घर पहुंची मां और बेटी को पिता ने फूलों की माला पहनाकर, फीता काटकर घर में प्रवेश कराया साथ ही परिवार वालों ने मां और बेटी को आरती उतार कर स्वागत किया।
बेतिया के परिवार ने पेश की मिसाल
21वीं सदी में भी कई मामले ऐसे आते हैं जहां पढ़े लिखे लोग भी बेटा-बेटी में भेदभाव करते हैं और कई बार बेटियों को मार कर या ऐसे ही छोड़ जाते हैं। लेकिन दो-दो बेटियों के इस पिता ने बेटियों को जो सम्मान दिया है वह अपने आप मे एक मिसाल है।