द फॉलोअप डेस्क
कहा जाता है कि पुलिस के हाथ लंबे होते हैं, लेकिन अररिया अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति थाना में तैनात थानाध्यक्ष पवन पासवान के हाथ इतने लंबे निकले कि वे खुद मधेपुरा में रहते हुए भी अररिया थाने की स्टेशन डायरी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा लेते थे। हालांकि, उनकी ये कारस्तानी पुलिस कप्तान की नजरों से बच नहीं सकी और उनका सच सामने आ गया।
यह मामला तब उजागर हुआ जब पुलिस अधीक्षक (SP) अंजनी कुमार ने अचानक निरीक्षण के लिए उसी थाने का दौरा किया। निरीक्षण के दौरान जब उन्होंने महिला सिपाही से थानाध्यक्ष के बारे में जानकारी ली, तो महिला सिपाही ने जवाब दिया, "सर, अभी तुरंत सनहा दर्ज कर निकले हैं।" इस जवाब ने SP को शक में डाल दिया। इसके बाद, SP ने थानाध्यक्ष का टावर लोकेशन ट्रेस कराया, जिससे पता चला कि थानाध्यक्ष पवन पासवान मधेपुरा में हैं, जबकि उन्होंने अररिया थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी थी।
इस खुलासे के बाद, SP अंजनी कुमार ने थानाध्यक्ष पवन पासवान और महिला सिपाही अमृता कुमारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। दोनों पर विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
क्या था पूरा मामला?
थानाध्यक्ष पवन पासवान 20 फरवरी को पुलिस अधीक्षक से अनुमति लेकर अवकाश पर गए थे और मुख्यालय छोड़ने से पहले उन्होंने अररिया पुलिस ग्रुप में इसकी सूचना दी थी। उन्हें 25 फरवरी को ड्यूटी जॉइन करनी थी। लेकिन 25 फरवरी की शाम करीब 7:19 बजे, उन्होंने पुलिस के व्हाट्सएप ग्रुप पर सूचना दी कि वे अररिया पहुंच चुके हैं और इसके बाद उन्होंने थाने की स्टेशन डायरी में अपनी उपस्थिति दर्ज कर दी।
थानेदार की गुमराह करने की रणनीति
थानाध्यक्ष ने स्टेशन डायरी में अपनी उपस्थिति झूठी तरीके से दर्ज करवाई थी, लेकिन जैसे ही SP अंजनी कुमार ने निरीक्षण के लिए थाने का दौरा किया, थानेदार की फर्जी उपस्थिति का भेद खुल गया।
SP अंजनी कुमार ने कहा कि थानाध्यक्ष पवन पासवान ने जानबूझकर वरीय अधिकारियों को गुमराह करने के लिए फर्जी हाजिरी दर्ज की और महिला सिपाही ने इसमें उनका साथ दिया। इस घोटाले के सामने आते ही दोनों को निलंबित कर दिया गया। पुलिस कप्तान की इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। पुलिस कर्मी भी थानेदार की कारस्तानी से हैरान हैं।