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The Diplomat : भारत पाक तनाव के बीच हम क्यों देखें शिवम नायर औऱ जॉन अब्राहम की ये फिल्म 

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Zeb Akhtar 
जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर की पल-पल की खबरें टीवी स्क्रीन पर नजरें टिकाए हम देख रहे हैं—यह वही भारत-पाक संघर्ष है जो पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद और भी तीखा हो गया है—द डिप्लोमेट नाम की एक फिल्म चुपचाप हमारी रियलिटी से मेल खा रही है। शिवम नायर निर्देशित यह फिल्म इस वक्त Netflix पर स्ट्रीम हो रही है, और इसका टाइमिंग ऐसा है मानो जैसे-जैसे दोनों देशों के बीच सीज़फायर समझौता असल जियोपॉलिटिक्स के जाल में उलझता जा रहा है, द डिप्लोमेट एक ऐसा राजनीतिक थ्रिलर बनकर सामने आती है जो राजनीतिक सवालों से भरी है। साथ ही, एक सच्ची कहानी पर आधारित है—इतनी चौंकाने वाली कि कल्पना भी मुश्किल हो  जाए।


भारत में Netflix पर नंबर 1 बनी द डिप्लोमेट
भारतीय राजनयिक जेपी सिंह के असली मिशन पर आधारित इस फिल्म में उस रेस्क्यू ऑपरेशन को दिखाया गया है, जिसमें भारतीय महिला उज़्मा अहमद को पाकिस्तान से सुरक्षित निकाला गया था। उज़मा को झूठ बोलकर पाकिस्तान ले जाया गया और ज़बरदस्ती शादी में फंसा दिया गया था।
मार्च में थियेटर में रिलीज़ होने के बाद  फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाका किया। वहीं,  इसने एक वफादार दर्शकवर्ग तैयार किया है—राजनीतिक थ्रिलर्स के शौकीन, असली घटनाओं को पसंद करने वाले और जॉन अब्राहम के फॉलोअर्स जो एक्शन के साथ ब्रेन पावर भी पसंद करते हैं।

ये हैं वो चार वजहें जिनकी वजह से The Diplomat आज ज़रूर देखी जानी चाहिए —
1. एक बेबाक, असली कहानी
कई बार हकीकत कल्पना से भी ज़्यादा चौंकाने वाली होती है। द डिप्लोमेट की कहानी 2017 की उस घटना पर आधारित है, जिसमें भारत की उज़्मा अहमद ने पाकिस्तान से भागकर अपनी ज़िंदगी बचाई। जॉन अब्राहम इस फिल्म में जेपी सिंह का किरदार निभा रहे हैं, जिन्होंने इस रेस्क्यू मिशन को अंजाम दिया था। यह पूरी कहानी किसी थ्रिलर नॉवेल जैसी लगती है—लेकिन यह सचमुच घटी थी।
2. जॉन अब्राहम के नए अवतार की झलक
फिल्म में ना कोई बाइक, ना बंदूकें, ना ही स्लो-मो एक्शन। द डिप्लोमेट में जॉन अब्राहम को एक स्मार्ट, शांत और सिस्टम-सेंटरिक राजनयिक के रूप में देखा जा सकता है। इस किरदार में उनका कंट्रोल्ड परफॉर्मेंस दिखाता है कि इंटेंसिटी सिर्फ सिक्स-पैक से नहीं आती—कभी-कभी यह दिमाग से भी आती है।
3. एक राजनीतिक थ्रिलर—बिना भाषणबाज़ी के
यह कोई देशभक्ति के बनावटी नारे लगाती फिल्म नहीं है। जैसा कि खुद जॉन ने कहा था, द डिप्लोमेट पारंपरिक भारत-पाकिस्तान संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक ह्यूमैनिटेरियन कहानी है, जो राजनयिक दुनिया के बीच बुनी गई है। इसमें गुस्से और बदले के बजाय तर्क और बुद्धिमत्ता पर ज़ोर है—यही बात इसे बाकी थ्रिलर्स से अलग बनाती है।
4. शिवम नायर का निर्देशन—जैसा आपने Special Ops में देखा था
अगर आपने Special Ops या नाम शबाना देखी है, तो आप जानते हैं कि शिवम नायर कैसे स्क्रीन पर टेंशन को रचते हैं। द डिप्लोमेट में भी वही पकड़, वही कसाव है—बिना किसी एक्स्ट्रा ड्रामा के। सिर्फ कहानी, किरदार और वो तनाव जो आपको क्लाइमेक्स तक बांधकर रखता है।

इस वक्त जब असल दुनिया में तनाव की हवा तेज़ हो चुकी है, The Diplomat हमें उस सच्चाई की झलक देती है जिसे हम अक्सर नजरअंदाज़ कर देते हैं—कि नायक सिर्फ युद्धभूमि में नहीं होते, कई बार वे डिप्लोमैटिक पासपोर्ट लिए चुपचाप काम कर रहे होते हैं।

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