तस्वीर में दिख रही महिला सुशीला सामद हैं। देश की पहली महिला आदिवासी विदुषी, कवि, पत्रकार और संपादक। सुशीला सामद ने 100 साल पहले औपनिवेशिक शासनकाल में नारी चेतना की आवाज बुलंद की। उन्होंने महिला अधिकारों की बात की।
गांव में साहूकारों ने उनकी जमीन हड़प ली। घर के मवेशी तक नहीं बचे। 2 वक्त की रोटी का कोई ठिकाना नहीं था। एक परिवार विस्थापित होकर गांव से 70-80 किलोमीटर दूर रांची आ जाता है। फिर शुरू होती है संघर्ष की ऐसी कहानी जो सिर्फ इस परिवार की न होकर झारखंड के हजारों
इस तस्वीर को गौर से देखिए। ये सुमराय टेटे हैं। चेहरे पर जो हल्की सी मुस्कान है उसमें खुशी के साथ जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा है। इस तस्वीर के अंदर कामयाबी के जितने किस्से सिमटे हुए हैं उससे कहीं ज्यादा संघर्ष की दास्तानें हैं।
स्क्रीन पर दिखाई दे रही इस लड़की को पहचानना बहुत मुश्किल नहीं है। ये दुनिया की नंबर वन तीरंदाज दीपिका कुमारी हैं जिन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री जैसे सम्मान से नवाजा जा चुका है। जरा रुकिये, अभी दीपिका का परिचय पूरा नहीं हुआ है।
भारतीय महिला हॉकी की नई सनसनी सलीमा टेटे को इसी वर्ष एशियाई हॉकी महासंघ ने एशिया महादेश का एथलेटिक्स एंबेस्डर बनाया है। किसने सोचा था कि झारखंड के एक छोटे से गांव की रहने वाली किसान की बेटी कभी इस मुकाम तक पहुंचेगी।
दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर खड़ी यह सांवली लड़की किसी पहचान की मोहताज नहीं है। नाम है विनीता सोरेन। झारखंड की विनीता सोरेन माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली देश की पहली आदिवासी महिला हैं। 26 जून 2012 को महज 25 साल की उम्र में एवरेस्ट फतह करन
सादे लिबास में हल्की मुस्कान के साथ दिखाई देने वाली यह महिला आपको साधारण लग सकती है लेकिन इस मुस्कान के पीछे गहरे अर्थ छिपे हैं। नाम है सरस्वती देवी। इस मुस्कान के पीछे सरस्वती देवी का मां दुर्गा सरीखा व्यक्तित्व छिपा है।
मिशन-2024 के तहत झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत और प्रदेश की सत्ता में वापसी का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी अब जातीय समीकरणों को साधने पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।
पद्मश्री सम्मान से सम्मानित छुटनी देवी सरायकेला-खरसावां में सक्रिय एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस नाम के एनजीओ की निदेशक हैं। झारखंड और देशभर में आज जो उनका रूतबा और स्थान है, उसके लिए छुटनी देवी ने संघर्षों से भरा लंबा सफर तय किया है।
12वीं सदी का समय, बिहार का रोहतास गढ़। सोन नदी की तराई। मर्दाना भेष, हाथों में तलवार, माथे पर पगड़ी और घोड़ों पर सवार आदिवासी उरांव महिलाओं की फौज और मुकाबला महिषासुर रूपी मुगलों की फौज से। सिनगी देई के शौर्य की कहानी यहीं शुरू होती है, जिनके हाथों में इस
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिन लड़ाई चली। 10वें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का खात्मा कर दिया। इसी विजय के उपलक्ष्य में हम नवरात्र मनाते हैं और मां दुर्गा की शक्ति और उनके नौ रूपों की उपासना करते हैं।
झारखंड में जमशेदपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल बात केवल 39 हजार रुपए की थी लेकिन उसमें जुर्माना 3.49 लाख रुपए आया। दरअसल 39 हजार का गद्दा खराब होने पर शॉप कीपर 3.49 लाख का जुर्माना लगा है। दऱअसल वारंडी पीरियड होने के बाद दुकानदार द्वा