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लोकसभा विशेष : बिरसा के गांव में आज भी डाढ़ी-कुआं का पानी पीते हैं लोग, पोते सुखराम बोले- नेताओं के दौरे में ढंक दिए जाते हैं मिट्टी के मकान

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रिपोर्ट- सूरज ठाकुर/ ऋषभ गौतम

झारखंड से ही अति पिछड़ा जनजातीय आदिवासी समुदाय के विकास के लिए महात्वाकांक्षी पीएम जनमन योजना की शुरुआत की गई है। प्रधानमंत्री ने 3 और 4 मई को झारखंड दौरे में इसका जिक्र भी किया। जहां से योजना शुरू हुई है, वहां क्या बदला है, इसकी पड़ताल करने हम खूंटी जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर धरती आबा बिरसा मुंडा के पैतृक गांव उलिहातू पहुंचे। खूंटी जिला मुख्यालय से उलिहातू गांव जाने के पक्की सिंगल सड़क है। हमें सफर में कोई दिक्कत नहीं हुई। यहां तो कम से कम कनेक्टिविटी के मोर्चे पर उलिहातू का विकास हुआ है। जिला और प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए पक्की सड़क है।

गांव के वार्ड सदस्य हमें बताते हैं कि गांव में सड़क की हालत बिलकुल ठीक है। प्रखंड और जिला मुख्यालय तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। गांव वालों को परिवहन के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। 

हम उलिहातू गांव पहुंचे तो मुहाने पर ही वह घर दिखा जहां धरती आबा ने जन्म लिया था। कभी मिट्टी के रहे उस मकान को पक्का कर दिया गया है। सामने ही भगवान बिरसा मुंडा का स्मारक बना है। उनके नाम पर एक लाइब्रेरी भी बनाई गई है।

धरती आबा बिरसा मुंडा की जन्मस्थली

पीएम से लेकर राष्ट्रपति तक उलिहातू गांव आये हैं
उलिहातू गांव हमेशा झारखंड की सियासत के केंद्र में रहता है। सीएम से लेकर पीएम और राष्ट्रपति भी विभिन्न मौकों पर गांव का दौरा करते रहे हैं। बिरसा मुंडा के स्मारक के पास ही उनके परपोते सुखराम मुंडा अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। हमने उनसे राजनेताओं के दौरे और इससे गांव के हालात पर आये बदलाव को लेकर जानना चाहा।

सुखराम मुंडा बताते हैं कि बीते कई वर्षों से इस गांव में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से लेकर कई मंत्री पहुंचे लेकिन उससे कोई बदलाव नहीं आया। वो बताते हैं कि सबने वादा किया लेकिन विकास किसी ने नहीं कराया। 

सुखराम मुंडा बताते हैं कि जब यहां बड़े राजनेताओं का दौरा होता है तो कच्चे मकानों को पर्दे से ढंक दिया जाता है। ग्रामीणों से बात करने नहीं दिया जाता। सुखराम मुंडा कहते हैं कि उनकी प्रधानमंत्री से कभी बात नहीं हुई लेकिन राष्ट्रपति से मुलाकात हुई है। 

सुखराम मुंडा (धरती आबा बिरसा मुंडा के परपोते)

वो कहते हैं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी हैं इसलिए, उन्होंने मुझसे बात की। वो कहते हैं कि प्रधानमंत्री से भेंट हुई थी। वो कहते हैं कि अर्जुन मुंडा और मुख्यमंत्री ने उन्हें बैठने की जगह नहीं दी। वो खड़े-खड़े ही पीएम से मिले। ऐसे में वो अपनी समस्यायें कैसे सुनाते। 

सुखराम मुंडा उलिहातू में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं। वो कहते हैं कि गांव में पानी की दिक्कत है। पीएम आवास नहीं बना है। वो कहते हैं कि हम बिरसा मुंडा के वंशज हैं। हमें कम से कम एक बित्ता ज्यादा बड़ा घर बनाकर देते लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वो कहते हैं कि हम हमें झोंपड़ी में ही रहना नसीब है तो यही सही। ये हालात बदलना चाहिए।

बिरसा के गांव में 50 लोग रोजगार के लिए पलायन कर गये
पीएम जनमन योजना में स्थायी रोजगार उपलब्ध कराना अहम मानकों में शामिल है। कुछ ही दिन पहले हिन्दुस्तान अखबार में खबर छपी थी कि गांव के लोग रोजगार के लिए पलायन कर गये हैं। दावा है कि इनमें बिरसा मुंडा के एक वंशज भी शामिल हैं।

गांव का एक युवक इसकी पुष्टि भी करता है। वो बताता है कि बहुत बेरोजगारी है। लोग पढ़े लिखे हैं।

किसी ने ग्रेजुएशन किया है। कई युवक प्लस टू पास हैं। वो कहता है कि मुझे ही देख लीजिए। मैं भी पढ़ा-लिखा हूं लेकिन बेरोजगार हूं।

गांव के वार्ड सदस्य कहते हैं कि बेरोजगारी तो है। खेती-बाड़ी भी वर्षा पर निर्भर है। एक ही सीजन की खेती से गुजर बसर नहीं होती। गांव के लगभग 50 लोग दूसरे प्रदेश में गये हैं। गांव के लोग दिल्ली, कर्नाटक और हरियाणा रोजगार की तलाश में जाते हैं। 

उलिहातू गांव में अधिकांश लोग कच्चे मकान में रहते हैं
जनजातीय आदिवासी समुदाय को पक्का आवास दिया जाना भी योजना के अहम मानकों में शामिल है। हालांकि, उलिहातू में अधिकांश मकान कच्चे हैं। गांव में ग्रामीणों को पीएम आवास के अलावा शहीद आवास का लाभ दिया जाना भी तय हुआ था। एक युवक कहता है कि लोग वादा तो करता है लेकिन आवास दिया नहीं गया। वार्ड सदस्य कहते हैं कि गांव में शहीद ग्राम आवास देना था लेकिन सबको नहीं मिला। वो कहते हैं कि धीरे-धीरे सब हो रहा है।

ग्रामीणों को शहीद आवास का लाभ दिया जाना था लेकिन अभी तक ये योजना धरातल पर उतर नहीं पाई है। दरअसल, ग्रामीणों का तर्क है कि उन्हें जो आवास दिया जा रहा है, वह काफी छोटा है। वे इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर विचाराधीन है। 

आज भी दाढ़ी-कुआं का पानी पीते हैं उलिहातू के लोग
पीएम जनमन योजना के तहत जनजातीय आदिवासी समुदाय को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। इसके अलावा पहले से ही हर घर नल से जल योजना भी चलाई जा रही है। इसमें गांव में जलमीनार बनाकर पाइपलाइन के माध्यम से सबके घरों में पेयजल आपूर्ति करना है। हालांकि, ये जानना दुखद है कि बिरसा मुंडा के गांव में आज भी लोग कुआं और चुआड़ी का पानी पीते हैं। नल से जल योजना सफल साबित नहीं हुई है और केवल 15 फीसदी घरों तक ही पानी पहुंच रहा है। गर्मियों में स्थिति और विकट हो गई है। महिला बताती है कि पानी पूरा नहीं आता। 

ग्रामीण महिला

लोग पानी नहीं भर पाते क्योंकि इतना पानी आता ही नहीं है। खाना बनाने के लिए कुआं से पानी लाना पड़ता है। युवक कहता है कि पीएम आये थे तो पाइपलाइन बिछाया गया। तब पानी आया था लेकिन अब सप्ताह में केवल 1 दिन ही पानी आता है। वो भी केवल 1 घंटा ही पानी आता। 

वार्ड सदस्य कहते हैं कि गर्मियों में दिक्कत है। हम दाढ़ी-कुआं से पानी आता हैं। वह बताते हैं कि गांव में नल जल योजना सफल नहीं हुई है। केवल 15 फीसदी घरों में ही पानी आता है। 

हालांकि, अभी उलिहातू सहित आसपास के 13 और गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए बड़ी परियोजना पर काम चल रहा है। दावा है कि उस परियोजना के पूरा होते ही गांव में पेयजल की समस्या ठीक हो जायेगी। गांव वाले इसी के इंतजार में हैं।

 

उलिहातू गांव में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति क्या है
उलिहातू गांव में शिक्षा के लिए आरंभिक स्तर पर जरूर कुछ अच्छे उपाय हुए हैं। गांव में आवासीय एकलव्य विद्यालय है। कुछ बच्चों ने बताया कि वहां शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त है। वे सही तरीके से पढ़ाते भी हैं। गांव में ही, बिरसा मुंडा स्मारक के पास एक लाइब्रेरी भी बनी है। वार्ड सदस्य बताते हैं कि पहले से हालत ठीक है। 

गांव में 4 स्कूल हैं। एक आवासीय स्कूल है। एक कन्या विद्यालय है। एक जीएल प्राथमिक विद्यालय है। एक सरस्वती शिशु मंदिर है। गांव में शिक्षा की स्थिति ठीक है। 

उलिहातू गांव के लोगों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। वहां प्राथमिक चिकित्सा और सामान्य बीमारियों के इलाज की समुचित व्यवस्था है। वार्ड सदस्य बताते हैं कि गांव में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं लेकिन वहां फौज की तैनाती रहती है। मुंडा लोगों के साथ भाषा की भी समस्या है। 

डर से लोग वहां नहीं जाते। लोग ठीक से कम्युनिकेट नहीं कर पाते हैं। 

24,000 करोड़ रुपये की पीएम जनमन योजना क्या है
गौरतलब है कि भारत के 18 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में निवास करने वाली अति पिछड़ा जनजातीय आदिवासी समुदाय के लिए 24000 करोड़ की लागत वाली पीएम जनमन योजना की शुरुआत की गई है। पहले चरण में 3 साल के लिए 15,000 करोड़ का आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर 2023 को झारखंड के खूंटी जिला के उलिहातू गांव से योजना लॉन्च की थी। इस योजना का उद्देश्य सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषओण, दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका मुहैया करवाना है। 

योजना के तहत जनजातीय आदिवासी समुदाय को उनके अधिकारों के बारे में सजग किया जायेगा। उनको आधार कार्ड, सामुदायिक प्रमाण पत्र, जन धन खाता प्रदान किया जायेगा। आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि औऱ किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं से जोड़ा जायेगा। उनके गांव में दरवाजे तक सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जायेगा।

इसके लिए हाट बाजार, सीएससी, ग्राम पंचायत, आंग़नबाड़़ी, बहुउद्देश्यीय केंद्र, वन विकास केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की जायेगी।

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